अवैध सम्बंध की जानकारी छुपाने पति ने आंगनबाड़ी के रजिस्टर से मिटाई अपनी दूसरी शादी और बच्ची की जानकारी..

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सूरजपुर (हिंद स्वराष्ट्र समाचार पत्र) जिले के रविंद्रनगर निवासी प्रदीप गुप्ती पिता स्व: सुभाष गुप्ती की शादी 2011 में सुभाष नगर की रहने वाली पोर्सिआ दास के साथ समाज के सामने हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। कुछ समय तक सब ठीक रहने के बाद पति प्रदीप गुप्ती द्वारा दहेज को लेकर तथा अपनी प्रेमिका के कारण अपनी पत्नी से गली – गलौज तथा मारपीट करने लगा जैसे जैसे समय बीतता गया के प्रदीप अपनी हरकतों में और बढ़ते गया और उसने मार पीट कर अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया।

प्रदीप गुप्ती ने शादी के बाद बताया अपनी प्रेमिका माला और अपने संबंध के बारे में

शादी के बाद प्रदीप गुप्ती ने अपनी पत्नी को अपने अवैध संबंध की जानकारी दी तथा अपनी पत्नी को बताया की वह अब उसके साथ नही रहेगा और उसे घर छोड़कर जाने को कहा पत्नी ने घर छोड़कर जाने से मना किया जिसपर प्रदीप ने उसके साथ मार पीट की और उसे घर से निकाल दिया। उसने अपनी पत्नी से तलाक के लिए कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। जिसे बाद में माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।

पत्नी को भरण पोषण देने में असमर्थ मां के पेंशन में करता हूं गुजारा

मिली जानकारी के अनुसार पत्नी पोर्सिया गुप्ति ने पति द्वारा प्रताड़ित कर घर से निकाल दिए जाने के बाद कोर्ट में भरण पोषण हेतु आवेदन दिया गया था जिस पर न्यायालय ने ₹2000 प्रति माह देने हेतु प्रदीप गुप्ति को आदेश किया था लेकिन कुछ समय तक पैसे देने के बाद उसने पैसे देने बंद कर दिए और जब कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लिया गया तो प्रदीप ने खुद को पैसे देने में असमर्थ बताया तथा बताया कि वह अपनी मां को मिलने वाली पेंशन की राशि में अपना गुजारा कर रहा है तथा अपनी स्थिति को दयनीय बता कर पैसे ना दे पाने की बात कही।

अपनी पूर्व प्रेमिका से की शादी किसी को पता ना चले इस भय से आंगनबाड़ी में जाकर मिटाया सबूत

कई सालों से मामला कोर्ट में चल रहा है तथा इस मामले में नया मोड़ तब आता है जब प्रदीप द्वारा अपनी प्रेमिका माला देवनाथ से शादी कर ली जाती है और उससे एक संतान उत्पन्न होती है जिसके पोषण आहार हेतु प्रदीप द्वारा आंगनबाड़ी में जाकर अपनी पूर्व प्रेमिका और दूसरी पत्नी का नाम आंगनबाड़ी केंद्र में पोषण आहार हेतु दर्ज कराया गया। इस बात की जानकारी जब प्रदीप की पहली पत्नी पोर्सियां को लगती है तब उसने इस बात की सत्यता को जानने के लिए गांव के सरपंच पति शंकर राय इस बात की जानकारी चाहि तो उसने दूसरे दिन आकर आंगनबाड़ी से इसकी जानकारी लेने को कहा। लेकिन इससे पहले ही प्रदीप को इस बात की भनक लग चुकी थी कि उसकी पत्नी आंगनबाड़ी आने वाली है जिस पर उसने आंगनबाड़ी जाकर अपना और अपनी दूसरी पत्नी एवं दूसरी पत्नी से हुई बच्ची का विवरण मिटा दिया था। जब इस बात की जानकारी आंगनबाड़ी सहायिका से ली गई तो उसने बताया कि पूर्व में प्रदीप द्वारा अपनी दूसरी पत्नी माला देवनाथ का नाम पोषण आहार हेतु आंगनबाड़ी में दर्ज कराया गया था तथा बाद में स्वयं आकर अपना नाम वाइटनर से मिटा दिया गया था जिस पर सरपंच पति द्वारा पुनः उसका नाम लिखवाया गया था। जब महिला अपने पति के कारनामों की जानकारी लेने आंगनबाड़ी पहुंची थी तब पति एवं सास द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया तथा उसे डराया धमकाया गया।

आंगनबाड़ी सहायिका ने बताया प्रदीप ने मिटाया था नाम और किसी को रजिस्टर दिखाने से किया था मना।

जब हमने प्रदीप के नाम पर व्हाइटनर लगा देखा तो इस बात की जानकारी आंगनबाड़ी सहायिका से ली तो उसने बताया कि प्रदीप द्वारा आंगनबाड़ी में आकर के अपना एवं अपनी दूसरी पत्नी के नाम पर व्हाइटनर लगा दिया गया था तथा रजिस्टर अपनी पहली पत्नी को दिखाने से मना किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर प्रदीप ने गलती नहीं की तो उसने रजिस्टर दिखाने से मना क्यों किया तथा अपने और अपनी दूसरी पत्नी के नाम को वाइटनर में लगाकर मिटाया क्यों.?

सरकारी पेपर में की छेड़छाड़

यह सोचने का विषय है कि ऐसे लोगों की हौसले इतने बुलंद कैसे हैं कि उसने आंगनबाड़ी में आकर अपने हाथों से सबूत मिटाए और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका इस बात का विरोध भी नहीं कर सके और नहीं इस बात की शिकायत इन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को अब तक की इससे साफ जाहिर है कि प्रदीप के साथ इनकी भी मिलीभगत है क्योंकि किसी भी कार्यालय के दस्तावेजों में कुछ भी लिखने का अधिकार कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों अधिकारियों का होता है ना की किसी बाहरी व्यक्ति का अब ऐसे में यदि कोई बाहरी व्यक्ति कार्यालय दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करता है उसके बाद भी विभाग अपनी चुप्पी साध ले तो यह कहना गलत नहीं होगा की सभी की मिली भगत से ऐसे कार्य किए जा रहे हैं।

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