प्रिंसिपल को सुसाइड के लिए मजबूर किया गया : भिलाई के कॉलेज में फांसी लगाने वाले प्राचार्य का सुसाइड नोट मिला, 3 लोगों को बताया दोषी..

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भिलाई :– नागरिक कल्याण कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. भुवनेश्वर नायक की मौत के बाद मिले सुसाइड नोट से साफ हो गया है कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया है। पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला है उसमें तीन लोगों का नाम लिखा है। बताया जा रहा है कि ये तीनों उसी कॉलेज के स्टाफ हैं। डॉ. नायक ने लिखा है कि इन्हीं तीन लोगों के प्रताड़ित करने से खुदकुशी कर रहे हैं। पुलिस ने अभी यह बताने से इनकार किया है कि सुसाइड नोट में किन लोगों के नाम लिखे हैं और क्या आरोप हैं। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस डॉ. नायक का शव परिजन को सौंप दिया है। परिजन शव लेकर गृह ग्राम सरायपाली पहुंचे, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। एडिशनल एसपी ग्रामीण अनंत कुमार ने बताया कि जांच में जो सुसाइड नोट मिला है, उसमें तीन सरनेम लिखे गए हैं। यह तीनों लोग कौन हैं। इसकी जांच की जा रही है। जांच में यह बात जरूर सामने आई है की जिन लोगों का नाम सुसाइड नोट में लिखा है वह कॉलेज के स्टॉफ है। अब इन्होंने डॉ. नायक को किस तरह प्रताड़ित किया कि वो आत्महत्या के लिए मजबूर हो गए। इसकी जांच की जा रही है। डॉ. नायक के परिवार वालों ने भी किसी प्रकार का आरोप नहीं लगाया है। अंतिम संस्कार के बाद पुलिस उनसे पूछताछ करेगी।
गड़बड़ियों का विरोध करते थे डॉ. नायक
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जो तीन नाम सुसाइड नोट में मिले हैं वह नागरिक कल्याण कॉलेज के हैं। तीनों लोग अपनी मर्जी से कॉलेज को चलाना चाहते थे और कई भ्रष्टाचार कर चुके हैं। डॉ. नायक इन सब में उनका साथ नहीं दे रहे थे। वह लोग न सही से क्लास लगने देते थे न कॉलेज की व्यवस्था बनने देते थे। कॉलेज के हर काम में डॉ. नायक का विरोध करने के चलते वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगे थे। इसी के चलते डॉ. नायक ने उच्च शिक्षा विभाग को यह लिखकर दे दिया था कि वह प्राचार्य का प्रभार नहीं लेना चाहते हैं।
हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरुणा पल्टा ने बताया कि डॉ. नायक कॉलेज के छोटे से छोटे कार्य नहीं कर पा रहे थे। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी, जिससे कॉलेज की व्यवस्था चरमरा गई थी।

प्राचार्य त्रिपाठी के तबादले के बाद अकेले पड़ गए थे नायक
6 महीने पहले तक नागरिक कल्याण कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसआर त्रिपाठी हुआ करते थे। उनके रहते तक डॉ. नायक और डॉ. त्रिपाठी की जोड़ी काफी अच्छी चली। दोनों ने मिलकर कॉलेज में अच्छा कार्य किया। उस समय भी कुछ स्टॉफ उनका साथ नहीं देते थे, लेकिन नायक और त्रिपाठी की जोड़ी नियम पर ही चलती थी। 6 महीने पहले प्राचार्य डॉ. त्रिपाठी का तबादला परपोड़ी हो गया और प्राचार्य का प्रभार डॉ. नायक को मिला। डॉ. त्रिपाठी के जाने के बाद डॉ. नायक अकेले पड़ गए थे और परेशान रहने लगे थे।

छोटी बेटी की शादी का सपना अधूरा
डॉ. नायक के परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी खुशबू की शादी करीब 3-4 साल पहले बस्तर में हुई थी। इसके बाद छोटी बेटी सिम्मी के हाथ पीले करने का सपना ही बचा था। सिम्मी बीए फर्स्ट ईयर में नागरिक कल्याण कॉलेज में ही पढ़ रही है। फिलहाल डॉ. नायक के जाने से उनका पूरा परिवार बिखर सा गया है। उनकी पत्नी और बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल है।
खुदकुशी की प्लानिंग करके निकले थे घर से
घटनाक्रम को देखकर पता चल रहा है कि डॉ. नायक ने खुदकुशी करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी। सुबह 8 बजे वह घर से कॉलेज जाने की बात कहकर निकले थे। इसके बाद रास्ते में उन्होंने एक लाल रंग की नाइलोन की रस्सी खरीदी और बाइक से कॉलेज पहुंचे। कॉलेज पहुंचने के बाद वह बाइक को पुराने भवन में ले गए, जहां कोई नहीं आता जाता। वह बाइक को अंदर ले गए और उसमें चढ़कर पंखे की हुक के सहारे रस्सी का फंदा बनाया और उसमें झूल गए।

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