प्रशान्त कुमार पाण्डेय
प्रतापपुर गौ तस्करी के मामले में एक नया खुलासा सामने आ रहा है जिसमें सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है, इस खुलासे में सबसे बड़ी बात तो यह है कि बात पुलिस वालों की रिश्वत लेने की छोटी लगने लगी है क्योंकि रिश्वत लेकर काम करने की बात अब पुरानी हो गई है अब पुलिस वाले एक्स्ट्रा इनकम के लिए पार्ट टाइम गौ तस्करी भी करने लगे हैं यह हमारा कहना नहीं है बल्कि पकड़े गए गौ तस्कर का कहना है कि पुलिस उनसे गौ तस्करी कर आती है।
टाइम पर नहीं मिलती होगी सैलरी या फिर घर चलाने के लिए काफी नहीं होगा वेतन, जो गौ तस्करी भी करवाते हैं। पुलिस वाले
ऐसी क्या मजबूरी है की इन पुलिस वालों को गौ तस्करी करने पर मजबूर कर रहा है, या फिर इन पुलिस वालों के पैसे की भूख शांत नहीं हो रही है जो लालच बस गाय तक को बेचने पर आतुर हैं। किसी सामान्य व्यक्ति की बात क्या करें यह तो एक जिम्मेदारी के पद पर बैठे हुए हैं फिर भी उसके बाद विकेश तिवारी प्रभारी प्रतापपुर एवं आरक्षक इंद्रजीत की भूख शांत नहीं हो रही है जो इन्हें अपने पद,पद की गरिमा एवं को मिट्टी में मिलाते हुए गौ तस्करी करने में उतर आए। जब किसी अपराध के लिए किसी आम आदमी को सजा मिलती है तो फिर पुलिस के भेष में बैठे इन दलालों को आखिर क्यों छोड़ा जा रहा है। विकेश तिवारी एवं आरक्षक इंद्रजीत को सस्पेंड कर देना लाइन अटैच कर देना कोई सजा नहीं है बल्कि मामले की लीपापोती कर मामला ठंडा करना है। ऐसे अपराधियों को जो पुलिस के भेष में बैठे हैं उन्हें तत्काल पद मुक्त करते हुए कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि पुलिस वालों की बड़ी से बड़ी गलतियों को लाइन अटैच करके या फिर उन्हें कुछ दिनों के लिए सस्पेंड करके टाल दिया जाता है या कोई सजा नहीं दी जाती है।और नहीं पुलिस की वर्दी पहनने के बाद ए लोग कानून से बड़े हो जाते हैं हर गलती की सजा इन पुलिस वालों को भी ऐसी ही मिलनी चाहिए जैसे आम व्यक्ति को मिलती है। पुलिस लोक सेवक के रूप में काम करती है और यदि पुलिस वालों से गलती और अपराध होने लगे और उन्हें ऐसे ही माफ कर दिया जाए तो आम जनता में कानून का भय खत्म होगा और अपराध और बढ़ेगा।
भ्रष्ट पुलिस वालों को उचित सजा नहीं मिलने पर बढ़ेगा अपराध का ग्राफ
आज हमारे देश में पहले के मुकाबले शिक्षित व्यक्तियों की संख्या 90 के दशक से काफी ज्यादा है आज लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूक हैं यदि ऐसे में पुलिस वालों की बड़ी से बड़ी गलतियों को लीपापोती कर छोड़ दिया जाएगा तो आम जनता का कानून पर से विश्वास उठ जाएगा और अपराधियों की संख्या में भी वृद्धि होगी। ऐसे में सही यही होगा की दोषी पुलिस वालों को आम नागरिकों के जैसे अपराध के आधार पर सजा मिलनी चाहिए ना की कार्रवाई के नाम पर लीपापोती करते हुए कुछ दिनों के लिए लाइन अटैच या सस्पेंड कर मामला ठंडा किया जाना
चाहिए।
अपराधी के बयान से स्पष्ट है पुलिस वाले शामिल है गौ तस्करी में फिर भी नहीं हो रही उचित कार्रवाई।
पकड़े गए अपराधी ने अपने बयान में कहा है कि प्रतापपुर थाना वाले उनसे गौ तस्करी करवाते थे, जिसमें प्रमुख रूप से सिपाही इंद्रजीत और थाना प्रभारी तिवारी ₹5000 की रिश्वत लेते थे उसके बाद भी इन पुलिसवालों पर कार्रवाई नहीं हो रही है यह पुलिस के बड़े अधिकारियों पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
इस मामले में अभी और खुलासे बाकी हैं जिन्हे जल्द हम उजागर करेंगे