वाड्रफनगर सरगुजा संभाग के सूरजपुर ,बलरामपुर जिला के पुलिस विभाग की मिलीभगत से दिनप्रतिदिन गाय ,भैस की तस्करी उत्तर प्रदेश के बुचडखाना में किया जा रहा हैं।बीते 11 अक्टूबर की रात गौ रक्षकों ने मुखबिर के सूचना के आधार पर वाड्रफनगर पुलिस चौकि के पास अंबिकापुर रोड तरफ से तेजरफ्तार से आ रही ट्रक को रोकने की कोशिश की जिसपर वाहन चालक ने स्पीड बढ़ा दी जिसके कारण गौरक्षको ने वाहन को रोकने के लिए रोड ब्लॉक किया। जब गौ रक्षकों ने ट्रक की तलाशी ली तो उसमें से 31नग भैस पाई गई, वहीं इस घटना में ट्रक के साथ चल रही स्कार्पियो में 3 लोग थे जो घटनास्थल से फरार हो गए। इस दौरान कुछ आरोपियों को गौ रक्षकों ने अपनी जान पर खेलकर पकड़ कर पुलिस के हवाले किया। यह घटना और बाकी घटनाओं की तरह आम सी घटना लग रही होगी लेकिन जब गौ रक्षकों ने एक तस्कर से पूछताछ की तो उसने पुलिस विभाग की कर्तव्यनिष्ठा एवं ईमानदारी पर चार चांद लगा दिए।
पुलिस की इमानदारी बेमिसाल चले सालों साल
जब आरोपी को गौ रक्षकों ने पकड़ा तो उसने बताया कि उसे इस घटना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है परंतु इतना जरूर मालूम है कि प्रतापपुर थाना प्रभारी विकेश तिवारी एवं आरक्षक इंद्रजीत के द्वारा गाय-भैंसों से भरी ट्रक पार करने की एवज में ₹5000 वसूला जाता है, तथा साथ ही बलरामपुर क्षेत्र अंतर्गत बसंतपुर थाना स्थित है जहां के प्रभारी ₹10000 की रिश्वत लेकर गाय-भैंसों से भरी ट्रक पार कराते हैं। इस व्यक्ति ने पुलिस की इमानदारी कर्तव्य परायणता पर चार चांद लगा दिए हैं आज जहां हम पुलिस के द्वारा किए जाने वाले कार्यों की सराहना करते हैं तो वही ऐसा कोई दिन शायद ही होगा जहां पुलिस वालों की करतूत सामने ना आती हो। ऐसे रिश्वतखोर पुलिस वालों को विभाग से वेतन नहीं मिलता होगा तभी वह अपना जीवन यापन करने हेतु मजबूरी में आकर के रिश्वतखोरी और अपराधियों की दलाली करते हैं। ऐसे रिश्वतखोर और भ्रष्ट पुलिस वालों को अब तक बचाया जा रहा है, इन भ्रष्ट पुलिस वालों के चलते इमानदार पुलिस वालों की छवि खराब होती है हम उन पुलिस वालों को भी जानते हैं जो हमारे समाज के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इन दलाल घूसखोर पुलिस वालों के चलते आम जनता का भरोसा पुलिस पर से उठता जा रहा है आज आए दिन ऐसी घटनाएं होती है जिसमें पुलिस महकमे के ऊपर सवालिया निशान उठाए जाते हैं लेकिन बड़े अधिकारी विभागीय मामला होने के चलते अपने खास खास पुलिस वालों को बचाने के लिए उन पर लीपापोती जैसी कार्रवाई करते हैं या नहीं करते। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस आम जनता से बड़ी है क्या आम जनता पुलिस की सेवा के लिए बनाई जाती है या आम जनता की सेवा के लिए पुलिस को बनाया जाता है। कोई आम आदमी या फिर हम उस तस्कर की बात करें जिसे पकड़ कर जेल में डाल दिया गया है जिसमें स्पष्ट रूप से कहा है कि इंद्रजीत,तिवारी बसंतपुर चौकी प्रभारी 5हजार से लेकर के 10,000 तक की उगाही करते हैं और उसके बाद उन्हें जाने दिया जाता है। इस बात की नामजद वीडियो वायरल होने के बाद भी पुलिस वाले किस शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं यह समझ से परे है या फिर पुलिस के बड़े अधिकारी मामला ठंडा होने पर मामला रफा-दफा करने के इंतजार में है यह सोचने का विषय है, पर इन सब बातों के बीच एक ही सवाल उठता है की आखिर इन दलाल और घूसखोर पुलिस वालों पर कार्यवाही होगी तो कब।
पता नहीं क्यों उसने मेरा नाम लिया:- विकेश तिवारी प्रभारी प्रतापपुर थाना
प्रतापपुर थाना प्रभारी का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि उनका नाम क्यों लिया गया है लेकिन सवाल उठता है कि सिर्फ उन्हीं का नाम क्यों लिया गया थाना में और भी लोग थे और भी आरक्षक हैं प्रधान आरक्षक भी होंगे उतने में थाना प्रभारी और आरक्षक इंद्रजीत का नाम ही क्यों आ रहा है जबकि पकड़े गए आरोपी का थाना प्रभारी तथा आरक्षक इंद्रजीत से पूर्व में कोई आपसी रंजिश भी नहीं है फिर उसके बाद आरोपी ने थाना प्रभारी विकेश तिवारी एवं आरक्षक इंद्रजीत का नाम ही क्यों लिया क्या, पकड़े गए आरोपी के बयान से स्पष्ट है कि प्रतापपुर थाना प्रभारी विकेश तिवारी एवं आरक्षक इंद्रजीत इस घूस कांड में पूर्णता शामिल थे और उन्होंने वाहन पर होने के नाम पर तस्करों से ₹5000 की उगाही की थी।
ऐसे भ्रष्ट पुलिस वालों के चलते बदनाम होता है पुलिस विभाग
जैसा की वीडियो में दिखाया जा रहा है पकड़े गए अपराधी द्वारा पुलिस वालों के कई नाम लिए गए हैं जिसमे से थाना प्रभारी प्रतापपुर विकेश तिवारी, बसंतपुर दरोगा, इंद्रजीत,जुगेश,अंकित आदि नाम सम्मिलित हैं। वीडियो में अपना बयान दे रहे व्यक्ति द्वारा पुलिस का नाम स्पष्ट रूप से उजागर किया गया है जिससे पुलिस महकमा बदनाम होता है ऐसे कुछ चुनिंदा भ्रष्ट लोगों के चलते सारे लोग पुलिस महकमे पर भरोसा नहीं कर पाते क्योंकि आज पुलिसिंग की व्यवस्था निश्चित रूप से कहीं न कहीं काफी खराब है आवेदन देना हो या कुछ और काम हो बहुत सारे जगह से होते हैं जहां पुलिस वालों को चढ़ावा चढ़ाए बिना काम नहीं होते।
दरोगा बोला है मेरा नाम नहीं लिया है :– राजकुमार लहरें
बसंतपुर प्रभारी का कहना है कि व्यक्ति द्वारा कथित तौर पर उनका नाम नहीं लिया गया है सिर्फ दरोगा बोला गया है जिससे यह स्पष्ट नहीं होता की उस व्यक्ति ने मुझे ही ₹10000 देने की बात कही है दरोगा 1 स्टार 2 स्टार भी होते हैं मैं तो थाना प्रभारी हूं उसने थाना प्रभारी नहीं कहा है, और यदि जांच में मैं दोषी पाया जाता हूं तो 1 घंटे के भीतर अपना त्यागपत्र दे दूंगा। इन शब्दों के साथ बसंतपुर थाना प्रभारी राजकुमार लहरें ने अपना बचाव किया अब देखने वाली बात है कि राजकुमार लहरी पुलिस की जांच में निर्दोष पाए जाते हैं या फिर उनका नाम अपराधियों के लिस्ट में आता है।
आईजी ने दिए दोनों एसपी को राजपत्रित अधिकारी से जांच करने के निर्देश
जब हिंद स्वराष्ट्र की टीम ने सरगुजा आईडी अजय यादव से इस मामले में जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि दोनों एसपी को निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले की निष्पक्षता के साथ राजपत्रित अधिकारी से जांच करा कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें
बाइट गौ रक्षक