वन अधिकार पत्र वितरण में हुए भारी अनियमितता, फर्जीवाड़ा और हेरफेर को लेकर भाजपा सरगुजा ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन…

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अंबिकापुर :– वन अधिकार पत्र वितरण में भारी अनियमितता , फर्जीवाड़ा और हेरफेर को लेकर भाजपा सरगुजा ने अध्यक्ष जिला स्तरीय वन अधिकार समिति एवं कलेक्टर सरगुजा से इसकी जांच की मांग की है।
भाजपा जिला अध्यक्ष ललन प्रताप सिंह के साथ त्रिलोक कपूर कुशवाहा, प्रबोध मिंज, आलोक दुबे अभिमन्यु गुप्ता, मधुसूदन शुक्ला एवं अजय सिंह द्वारा कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपा गया तथा अंबिकापुर अंतर्गत ग्राम पंचायत बधियाचूआ तथा खैरबार में महामाया पहाड़ी आरक्षित वन भूमि कक्ष क्रमांक 2582 तथा 2583 में वन अधिकार पत्र वितरण में फर्जीवाड़ा की जांच तथा दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की गई है।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि अपात्र व्यक्तियों का अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निकासी अधिनियम 2006 तथा अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी नियम 2008 यथा संशोधित 2012 के प्रावधान के विपरीत वन अधिकार पत्र दिया गया, तथा इस प्रकार अवैध प्राप्त वन अधिकार पत्र की भूमि जी बिक्री की जा रही है। इस पूरे प्रक्रिया में एक गिरोह सम्मिलित है जिसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, तथा प्रक्रिया में लगे शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है, वन अधिकार पत्र वितरण की प्रक्रिया अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी नियम 2008 तथा संशोधित 2012 में निहित है, बधिया चूआ एवं खैरबार पंचायत अंतर्गत वितरित वन अधिकार पत्र नियम एवं प्रक्रिया के विरुद्ध जारी किए गए हैं, प्रक्रिया में निहित कोई भी दस्तावेज तैयार नहीं किया गया है।
वन अधिकार पत्र वितरण की कानूनी प्रक्रिया एवं नियम पर बिंदुवार प्रश्न उठाते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष ने कहा कि अधिनियम की धारा 4 ( 4) के अनुसार वन अधिकार पत्र वंशागत होगा किंतु संक्रमणीय या अंतरण योग्य नहीं होगा, किंतु वन अधिकार पत्र धारकों द्वारा यह भूमि दूसरे व्यक्ति के नाम से अंतरित की जा रही है बेधड़क बेची जा रही है, जो अधिनियम का उल्लंघन है अतः दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध अधिनियम अंतर्गत कठोरतम दंडात्मक कार्यवाही करने एवं समस्त अपात्र एवं अवैधानिक तरीके से वितरित वन अधिकार पत्रों को निरस्त करने की मांग की गई है , और ऐसा नहीं करने पर जन आंदोलन की चेतावनी दी गई है जिसकी पूरी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।

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