प्रशान्त कुमार पाण्डेय
अंबिकापुर
आज हमारे पूरे देश में पत्रकारिता की दशा काफी खराब हो गई है, देश में चौथे स्तंभ माने जाने वाले और घोर अंधेरों से सच उजागर करने वाले पत्रकार अब कहीं कहीं ही देखने को मिलते हैं। आज कोई भी अनपढ़ या बदमाश उठ कर काम न मिलने की स्थिति में किसी माध्यम से प्रेस की आईडी कार्ड प्राप्त कर खुद को पत्रकार साबित करने में तुला है। उसे बस अपना काम निकलने से मतलब है बाकी कुछ आए न आए उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
नही होता कोई भी ज्ञान अपनी धाक जमाने के लिए करते हैं पत्रकारिता
आज कोई व्यक्ति जिसको कोई काम नही मिल रहा है या जिसको पावर, रुतबा बनाना होता है वो पत्रकार बनके घूमने लगता है। जिस व्यक्ति को किसी विषय में दो लाइन लिखने का ज्ञान नहीं होता वे भी खुद को पत्रकार कहते है।
फर्जी कमाई का है जरिया
आज हमारा देश काफी हद तक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है आज आप किसी भी ऑफिस में चले जाएं आपको अपना काम करवाने के लिए सामने वाले अधिकारी,कर्मचारी या फिर वहां के चपरासी को पैसे देने ही होंगे। किसी भी काम के लिए रिश्वत फैशन बन चुका बिना पैसा लिए बड़े से बड़े अधिकारियों के हाथ पैर ही नहीं हिलते और इतना दम भी नहीं लगता कि वह अपना कलम उठा कर बिना पैसे लिए किसी दस्तावेज में साइन कर सकें और हमारी इसी लचर व्यवस्था के कारण तथाकथित लोग जो खुद को पत्रकार बताते है ऐसे ही लोगों की तलाश में ऑफिस ऑफिस भटकते रहते हैं और कोई न कोई ऐसा अधिकारी या कर्मचारी उन्हें ऐसा मिल जाता है जिससे वे अवैध वसूली कर सके। तथाकथित भ्रष्ट लोग जो खुद को पत्रकार बता कर पत्रकारिता की मर्यादा को भंग करते हैं उन्हें एक न्यूज़ तक लिखना भी नहीं आता और वे खुद को पत्रकार बताते हैं।
दो लाइन लिखना नहीं आता और खुद को पत्रकार बताते हैं
ऐसे लोग जिनको सही से पेन पकड़ना भी नहीं आता जिनको दो लाइन न्यूज़ लिखना भी नहीं आता जिनको किसी घटना की स्क्रिप्ट तैयार करना भी नहीं आता जिनको पत्रकारिता का प… भी नहीं आता ऐसे लोग सच्चे पत्रकारों की गरिमा और मान मर्यादा का अपमान करते हैं साथ ही भारत के चौथे स्तंभ अपनी जान की बाजी खेल कर सच्चाई उजागर करने वाले सच्चे पत्रकारों की मान मर्यादा से खिलवाड़ करते हैं।
ऐसे भ्रष्ट अधिकारी और भ्रष्ट तथाकथित पत्रकारों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोगों की बुरी नियत वाले कार्यों से देश के सभी सच्चे पत्रकारों की छवि धूमिल हो रही है।