मेड‍िकल ऑक्‍सीजन क्‍या है और कैसे बनती है? कोरोना काल में इसकी किल्‍लत कैसे बन रही मरीजों के मौत का कारण..

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कोरोना की दूसरी लहर के श‍िकार लोगों की संख्‍या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है. ये संख्‍या इतनी ज्‍यादा बढ़ गई है क‍ि उन्‍हें इलाज, जरूरी दवाएं और ऑक्‍सीजन सिलेंडर न मिलने की खबरें आम हो गई है। दिल्‍ली, मुंबई और राजस्‍थान समेत कई राज्‍यों ने संक्रमण की रफ्तार को थामने के लिए लॉकडाउन लगा दिया है लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब हम ऑक्‍सीजन में ही सांस लेते हैं, पर्यावरण में भी प्रचुर मात्रा में ऑक्‍सीजन है तो आख‍िर मरीजों को पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन क्‍यों नहीं म‍िल पा रही हैं। ये मेडिकल ऑक्‍सीजन क्‍या है? कहां तैयार होती है? और इसे देने की खास वजह क्‍या होती है?
आइए जानते हैं कि‍ ये मेड‍िकल ऑक्सीजन गैस आम गैस से कैसे अलग है? विशेषज्ञ बताते हैं कि‍ हवा में मौजूद ऑक्‍सीजन को फिल्‍टर की एक प्रक्र‍िया के जरिये मेडिकल ऑक्‍सीजन तैयार की जाती है इस प्रोसेस को क्रायोजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस कहा जाता है.
इस प्रक्रिया मे कई चरणों में हवा को कंप्रेशन के जरिेये मॉलीक्यूलर एडजॉर्बर से ट्रीट करते हैं. इससे हवा में मौजूद पानी के कण, कार्बन डाई ऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन को अलग होते हैं. इसके बाद कंप्रेस्‍ड हवा डिस्टिलेशन कॉलम में आती है. यहां इसे plate fin heat exchanger & expansion turbine प्रक्र‍िया से ठंडा करते हैं. इसके बाद 185 डिग्री सेंटीग्रेट पर इसे गर्म करके डिस्टिल्ड किया जाता है.
डिस्टिल्ड प्रक्र‍िया कुछ इस तरह होती है कि पहले पानी को उबाला जाता है और उसकी भाप को कंडेंस कर के इकट्ठा करते हैं. इसके बाद अलग अलग स्टेज में इसे दोहराया जाता है जिससे खतरनाक नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और ऑर्गन गैसें एकदम नहीं रहतीं. फिर इसके बाद लिक्विड ऑक्सीजन और गैस ऑक्सीजन मिलती है.
इस पूरी प्रक्र‍िया से तैयार ऑक्सीजन को सिलेंडर में भरकर कंपनियां मार्केट में उतारती हैं. इस ऑक्‍सीजन का उपयोग अस्पताल में विशेषकर सांस के मरीजों के लिए किया जाता है या फिर ऐसे मरीजों के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है जिन्‍हें हार्ट अटैक, ब्रेन हैब्रेज हुआ है या कोई बड़ी दुर्घटना के चपेट में आ गए हैं. ऑपरेशन आदि प्रक्र‍िया के दौरान भी इसका इस्‍तेमाल होता है. कोरोना काल में इसका उपयोग कई गुना बढ़ चुका है. इसके अलावा स्‍‍‍‍टील, पेट्रोलियम आदि उद्योगों में भी ये इस्‍तेमाल होती है.
फिलहाल सरकार ने कोरोना काल में अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन सप्‍लाई की जरूरतों को देखते हुए सभी उद्योगों को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई पर रोक लगा दी है. इस कठ‍िन वक्‍त में सिर्फ टाटा स्टील 200-300 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन हर दिन अस्पतालों और राज्य सरकारों को भेज रही है. वहीं जिंदल स्टील की तरफ से महाराष्‍ट्र में 185 टन ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है.
इसी तरह सेल और रिलायंस जैसी कंप‍नियां भी ऑक्‍सीजन की सप्‍लाई कर रही हैं. इसके बावजूद कोरोना के मामले इस कदर बढ़ रहे हैं क‍ि देश में ऑक्‍सीजन सिलेंडरों की कमी सामने आ रही है. सरकार लॉकडाउन व अन्‍य तरीकों से इस कठ‍िन परिस्‍थ‍ित‍ि को काबू में लाने के प्रयास कर रही है.

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