आर्य प्रशान्त सूरजपुर जिले के पुलिस टीम के कप्तान राजेश कुकरेजा ने काफ़ी समय तक एक ही थाने में पैर जमा कर बैठे कुछ पुलिस वालों को दूसरी ओर का रास्ता दिखाया है।
इन तबादलों की सूची में एक नाम काफी चर्चित है जो कि बड़ा अधिकारी नहीं लेकिन बड़ा कर्मचारी जरूर है यह कर्मचारी अपने काम के लिए काफी मशहूर है।
हम बात कर रहे हैं कई सालों से अड्डा जमा कर बैठे अदिप प्रताप सिंह सिंह की, अदिप प्रताप सिंह पुलिस विभाग मे एक जाना पहचाना नाम है जिसके कारनामे इतने मशहूर हैं कि बताना संभव नहीं है। यह वही हेड कांस्टेबल है जिसने महेश्वर कुर्रे के साथ मारपीट करके उसे जातिवाद सुचको का प्रयोग करते हुए उसकी जेब से पैसे निकालने जैसे घटना को अंजाम दिया था और यह कोई एक मामला नहीं है ऐसे कितने मामले हैं जिनमे अदिप की गुंडागर्दी की बात सामने आ चुकी है,महेश्वर कुर्रे का मामला जब जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर तक पहुंची तो कोयले की खादान मे अदित के साथ अपना मुह काला कर चुके श्री राठौर मामले को दबाने का पुरजोर प्रयास करने लगे और अंततः आवेदक का मेडिकल जांच नहीं कराया गया। जब इस घटना की लीपापोती csp से करायी गई तो इतना देर हो चुका था कि मेडिकल जांच मे कुछ आना संभव ही नहीं था। इस बात से साफ़ जाहिर है कि हरीश राठौर और आदिप दोनों ही एक दूसरे के लिए चोर – चोर मौसेरे भाई की तरह थे जो एक दूसरे के कर्म कांडों पे मिलकर पर्दा डाला करते थे।
खैर कुछ लोगों से मिली जानकारी के अनुसार आदिप ग्रामीण क्षेत्रों मे लगने वाले बाजर मे शराब बेचने वालों पर कार्यवाही करने के बजाय 50-50 रुपये की वसूली किया करता था।
खैर अब ऐसे हेड कांस्टेबल से सूरजपुर कोतवाली को राहत मिली है लेकिन, हेड कांस्टेबल आदिप प्रताप सिंह के सहयोगी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर अभी भी सूरजपुर जिले में पदस्थ है अब ऐसे में अपराध पर लगाम लगा पाना पुलिस के लिए भी एक बड़ी चुनौती है क्योंकि हरीश राठौर पुलिस की गलतियों पर पर्दा डालने का काम बखूबी करते हैं।
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