विद्युत विभाग में भर्राशाही, बगैर निविदा निकाले अफसर अपने रिश्तेदार को देते है ठेका, आसानी से होता है भुगतान विद्युत की लचर व्यवस्था से परेशान लोगों से भी अफसर का नहीं रहता है कोई सरोकार

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कौशलेंद्र यादव सूरजपुर। जिले में विद्युत का हाल बेहाल है,ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की लचर व्यवस्था को लेकर आक्रोश का भी वातावरण है जिले में बैठे अफसर विद्युत व्यवस्था की सुधार की दिशा में पहल करने के बजाए कमीशन खोरी में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जिससे अफसरों के खिलाफ भी रोष पनप रहा है। बताते हैं कि विद्युत विभाग के अफसर बगैर टेंडर निकाले सेटिंग में सब कुछ काम चला रहे हैं और अपने चहेतों को काम देकर बंदरबांट में मस्त हैं।एक अफसर के रिश्तेदार भी विद्युत विभाग का ठेकेदार बना हुआ है जो किसी अन्य ठेकेदार के नाम पर काम करके खुद व अफसर दोनों सरकारी पैसे को अपना बनाने में लगे हुए हैं जिसकी जांच ईमानदारी से की जाए तो एक बड़ा मामला उजागर हो सकता है।
बिजली विभाग लगातार अपने कामों को लेकर सुर्खियों में है एक नया मामला अभी सामने आया है जिसमे बताया गया है की विभाग अंतर्गत संचालित संभागीय कार्यालय के कार्यपालन अभियंता एच के मंगेशकर द्वारा जुलाई-अगस्त 2019 से कार्यभार ग्रहण किया गया उनके कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात लगभग 1 वर्ष तक कोई भी निविदा एन आई टी न ही नेट में डाला गया और न ही सूचना पटल पर चस्पा किया गया। एवं गुप्त रुप से अपने चहेते ठेकेदारों को काम बाटं दिया गया था।
इस सम्बध में कुछ पत्रकारों एवं ठेकेदारों ने दोबारा जब इस संबंध में हस्तक्षेप किया तब कुछ एन आईटी का प्रकाशन नेट में किया जाने लगा एवं कुछ टेंण्डर बिना एनआईटी प्रकाशन किए गुप्त रूप से अपने चहेते ठेकेदार को देते रहे। इस संबंध में लगातार कुछ ठेकेदारों द्वारा विरोध किया जाता रहा परंतु कार्यपालन अभियंता लगातार अपनी मनमानी करते रहे।
बताया गया है कि कार्यपालन अभियंता जब से सूरजपुर का पदभार ग्रहण किए तब से ही भाई भतीजा वाद शुरुआत हो गई है। सूत्रों की माने तो वे अपने पत्नी के भाई आलोक लहरें जो पवन कुमार ठेकेदार बिलासपुर के पंजीयन से ठेकेदारी करते हैं के नाम से सर्वाधिक कार्य आदेश जारी किया गया। जिसकी ईमानदारी से जांच की जाए तो अमानत में खयानत का मामला सामने आ जाएगा काम की गुणवत्ता भी समझ में आ जाएगी
अभी हाल ही में जब सूरजपुर बाईपास रोड पर विद्युत शिफ्टिंग का काम चल रहा है तब वहां पर ठेकेदार डी पवन कुमार एवं आलोक लहरें उपस्थित थे. जब उनसे कुछ पत्रकारों ने इस कार्य के संबंध में जानकारी ली गई तो पता चला कि यह कार्य बिना निविदा एवं कार्य आदेश के इनके द्वारा किया जा रहा है। पत्रकारों द्वारा नियम विरुद्ध कार्य होने की बात कही कि तब उन्होंने कहा कि आप को जो करना है कर लो क्योंकि डी पवन कुमार फर्म से उनके साले आलोक लहरें द्वारा कार्य किया जाता है।इसलिए उनके सारे देयकों का भुगतान भी आसानी से हो जाता है। जबकि अन्य संभागीय कार्यालय मे किसी भी फर्म के देयकों का भुगतान उसके आवक तिथि के अनुसार होता है।
परंतु संभागीय कार्यालय में नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेते ठेकेदारों के देयक का भुगतान समय पूर्व ही कर दिया जाता है. साथ ही सुरक्षा निधि देयक का भुगतान जो कि 1 वर्ष पश्चात करने का नियम है उसका भुगतान भी अपने चहेते ठेकेदारों का समय पूर्व ही कर दिया जाता है।अन्य ठेकेदारों से काम देने के एवज मैं 5 से 7 परसेंट राशि की मांग की जाती है जो इस राशि का भुगतान करने में असमर्थ होता है जो उसे निविदा में भाग लेने से रोक दिया जाता है। जिले में बैठे ऐसे अधिकारियों के कारण ही जनता को मिलने वाली सुविधाएं दिक्कत भरी हो जाती है और वे सरकार को कोसने मे लग जाते हैं विद्युत विभाग एक संवेदनशील विभाग है जहां आम जनमानस की बात अनसुनी हो या सुविधाओं का अभाव हो जाए तो उसकी नाराजगी लाजमी है।जिले में विद्युत व्यवस्था का हाल भी किसी से छुपा नहीं है ग्रामीण क्षेत्रों में तो किसान और ज्यादा परेशान रहता है । गांव गांव में लचर व्यवस्था के कारण विद्युत की आंख में मिचौली बनी रहती है।ट्रांसफार्मर की खराबी की वजह से तो महीनों लोगों को बिजली के लिए तरसना पड़ता है।जिले में बैठे कमीशनखोर अधिकारियों के चक्कर लगाने से भी उनकी कोई सुनवाई नहीं होती।विद्युत विभाग में छोटे कर्मचारियों के सक्रियता की वजह से ही लोगों को विद्युत की व्यवस्था सुचारू मिल पा रही है ऐसे कर्मचारी भी अफसर के रवैये से नाराज ही बताए जाते हैं जिसकी लिखित में शिकायत भी उच्चाधिकारियों को की गई है जिस पर शासन प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।

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