प्रशान्त पाण्डेय
अम्बिकापुर
एक तरफ दिन प्रतिदिन बढ़ती चोरी, हत्या, लूट और बलात्कार की घटनाओं में सरगुजा संभाग की पुलिस लगाम नहीं लगा पा रही हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी असफलता को छुपाने सारा खुन्नस पत्रकारों पर निकाल रही है। ऐसा ही एक मामला देखने को मिला जहां 11 साल से बेसहारा विधवा महिला अपने पति की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति और पैसो के लिए भटक रही है।जिसके साथ नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी और छेड़खानी की जाती है। जिसकी शिकायत पोड़ी पुलिस से की जाती है लेकिन वहां की पुलिस आवेदिका से टाल मटोल करती है और अपराध दर्ज नहीं करती हैं।
आवेदिका अपने मामले में कोई भी कार्यवाही ना होते देख सरगुजा आईजी रतनलाल डांगी से शिकायत करती है। परंतु काफी समय बीत जाने के बाद भी महिला को न्याय नहीं मिलता है। अंततः एक बार पुनः महिला वर्तमान आईजी आरपी साय के समक्ष प्रस्तुत होती है और अपने मामले में न्याय की गुहार लगाती है, जिसपर आईजी द्वारा प्रेमनगर एसडीओपी को जांच के आदेश दे दिए जाते हैं। अपने मामले में क्या कार्यवाही हुई ये जानने जब महिला आईजी के समक्ष दुबारा उपस्थित होती है जिसपर आईजी द्वारा जांच रिपोर्ट आने और जांच रिपोर्ट के अनुसार आगे की कार्यवाही के निर्देश दिए जाने की बात कही जाती है,इस मामले में महिला के साथ ही गए पत्रकार द्वारा जब आईजी से पूछा जाता है की महोदय क्या हमे जांच की कॉपी मिल सकती है तो सरगुजा आईजी द्वारा अलग ही भाषा का प्रयोग करते हुए कहा जाता है कि “तुम पत्रकार लोग पता नही अपने आप को क्या समझते हो कभी ये कागज चाहिए कभी वो कागज चाहिए कुछ नही मिलेगा चलो निकलो यहां से कहकर दुर्व्यवहार किया जाता है।”
क्या यही है आईजी के बात करने का तरीका
अब इसमें सोचने वाली बात यह है कि जनता की सच की आवाज बनने वाले पत्रकारों के साथ अगर आईजी स्वयं इस प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं तो फिर आम जनता के साथ क्या सलूक करते होंगे ?? यह बोलने की जरूरत नहीं है कहीं ना कहीं अपनी नाकामियों को कामयाबी में नहीं बदल पाने का झुंझलाहट आईजी ने पत्रकार पर दिखाया।
इन्ही कारणों से समाज में पुलिस का चेहरा धूमिल
जब आईजी जिसके कंधों पर पूरे संभाग की कमान है यदि वे ही इस प्रकार का दुर्व्यवहार करते हों तो छोटे कर्मचारी किस भाषा का प्रयोग करते होंगे। अगर आईजी एक पत्रकार से इस तरह का व्यवहार करेंगे तो वो आम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करेंगे, क्योंकि घटना एक पत्रकार के साथ हुई तो उजागर हो गई आम नागरिकों के साथ हुई ऐसी ना जाने कितनी अनगिनत घटनाएं उजागर भी नही हो पाती होंगी।
आखिर कब मिलेगा महिला को न्याय?
वर्तमान आईजी से शिकायत किए काफी दिन बीत चुके हैं जिसपर जांच की रिपोर्ट भी आ गई है लेकिन महिला को अबतक न्याय नही मिल पाया है,ऐसे में ये कहना गलत नही होगी की पुलिस अपने उन कर्मचारियों को बचाने में लगी है जिन्होने महिला को अपराध दर्ज करने के नाम पर गुमराह किया और अन्ततः अपराध पंजीबद्ध नही किया।
वहीं पीड़ित पत्रकार का कहना है कि
“मैं काफी आश्चर्यचकित रहा जब सरगुजा आईजी ने मुझसे इस तरीके का व्यवहार किया। जब आईजी ही ऐसा व्यवहार करेंगे तो संभाग में पुलिस व्यवस्था कैसे सुधरेगी, आईजी आरपी साय यह भूल चुके हैं की वो एक पब्लिक सर्वेंट हैं जिसका काम आम जनता की सेवा करना है ना की अपनी नाकामयाबी पर दूसरों पर चिल्लाना। आईजी का कार्यालय आरपी साय की संपत्ति नही है जो वो किसी को निकल जाओ बोल सकें वो आम जनता की सुविधाओं के लिए बनाया गया कार्यालय है।
मेरा मानना है की कोई भी अधिकारी चाहे वो आईजी ही क्यों न हो उन्हें लोगों को कानूनी सहायता देने के लिए वेतन दिया जाता है लोगों पर चिल्लाने के लिए नही क्या ये अधिकारी अपनी सैलरी को ऐसे जस्टिफाई करेंगे?
क्या आईजी जैसे वरिष्ठ पद पर बैठे अधिकारी को यह शोभा देता है की वो किसी के साथ अपने कार्यालय में एक प्रकार का व्यवहार करे?
क्या पुलिस की ट्रेनिंग में पुलिस अपने स्टाफ को यह नही सिखाती की उन्हे लोगों से कैसे बात करना है?
शायद आईजी साहब अपने वातानुकूलित कमरे में बैठ कर अपने आप को सरगुजा संभाग का मालिक समझ बैठे हैं लेकिन उन्हें ये नही पता की उन्हे आम लोगों की सेवा के लिए वातुनुकुलित कमरा दिया गया है ।”
प्रशान्त कुमार पाण्डेय(आर्य)