रायपुर :- छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन (सीजीएमएससी) में भ्रष्टाचार का बड़ा कारनामा सामने आया है। सीजीएमएससी द्वारा राज्य के सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की गई पोविडोन आयोडीन एंटीसेप्टिक साल्यूशन (घोल) जांच में घटिया पाया गया है। मामला खुलने के बाद शासन ने आनन-फानन में सभी अस्पतालों से दवा को वापस मंगाना शुरू कर दिया है। विधानसभा सत्र के दौरान फजीहत के डर से विभागीय अधिकारी भी मामले को दबाने में जुट गए हैं। इस बीच राज्य मानवाधिकार आयोग ने भी मामले को संज्ञान में ले लिया है।
राजधानी के अम्बेडकर अस्पताल समेत प्रदेश के कई सरकारी अस्पतालों से लंबे समय से इस दवा के बेअसर होने की शिकायतें मिल रही थीं। अम्बेडकर अस्पताल की शिकायत पर 26 फरवरी को औषधि विभाग ने जांच की तो दवा अमानक (गुणवत्ताहीन) पाई गई। इसके बाद दवा वापस मंगाई जा रही है। इस दवा की आपूर्ति हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ स्थित एल्विस हेल्थ के यर कंपनी ने की है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
औषधि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 100 मिलीलीटर पोविडोन आयोडीन में 500 मिलीग्राम आयोडीन की मात्रा होनी चाहिए। लैब में हुई जांच में इसमें आयोडीन की मात्रा शून्य पाई गई है, जो इसे गुणवत्ताहीन बनाती है। इस तरह यह एक पदार्थ के अलावा कुछ भी नहीं है।
दवा का उपयोग
एंटीसेप्टिक लोशन पोविडोन आयोडीन का उपयोग आपरेशन और जख्मों के बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव के लिए किया जाता है। घाव को साफ करने में भी इसका उपयोग होता है। इस अमानक दवा से मरीजों में संक्रमण बढ़ने और जान जोखिम में पड़ने का खतरा बढ़ गया है।
टी.एस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री
दवाएं मरीजों के लिए संजीवनी है। अस्पतालों में घटिया सप्लाई का मामला गंभीर है। इसकी पूरी जानकारी लेता हूं। जांच के बाद निश्चित तौर पर दोषियों पर कार्रवाई होगी। दवाओं की सप्लाई के लिए गाइडलाइन तय की गई है। उसके अनुरूप ही सरकार दवा की खरीदी करती है।
अम्बेडकर अस्पताल में हर माह हजार लीटर की खपत
जानकारी के अनुसार, आंबेडकर अस्पताल में महीने के करीब 1,000 लीटर, जिला अस्पताल रायपुर में 200 लीटर और डीकेएस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में करीब 500 लीटर पोविडोन आयोडीन साल्यूशन की खपत हर महीने होती है। वहीं राज्य के शासकीय अस्पतालों में हर महीने करीब 50 हजार लीटर पोविडोन आयोडीन साल्यूशन की खपत है। बाजार मूल्य के अनुसार शासकीय अस्पतालों में दो करोड़ रुपये से अधिक की इस दवा की आपूर्ति होती है।
दवा सब स्टैंडर्ड होने की जानकारी कंपनी को नहीं
नालागढ़ स्थित एल्विस हेल्थ केयर कंपनी के प्रोडक्शन मैनेजर रामपाल ने कहा कि उनकी दवाएं कई राज्यों में जाती हैं। उन्हें अभी तक दवा सब स्टैंडर्ड होने का कोई नोटिस नहीं मिला है। दवा को छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन ने लिया था। राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कहा कि अगर इस तरह का कोई मामला है तो संबंधित दवा निरीक्षक को जांच के लिए भेजा जाएगा।