एक गांव में व्यापारी रहता था। व्यापारी के पास बहुत से जानवर थे। उसने अपने घर में बहुत सी गायें, भैंस पाल रखी थीं। उन्हीं का दूध बेचकर वह अपना व्यापार चलाता था। कुछ दिनों बाद व्यापारी ने कुत्ते और खरगोश को भी अपने घर में पालने की सोची। उसके बच्चे भी कुत्ते और खरगोश को देखकर बहुत प्रसन्न हुए। एक दिन वह अपने बच्चों के साथ कुत्ते और खरगोश को ले्कर खेलने गया। उसने खेलने के लिए अपने खेत में बहुत सारे छेद कर दिए। उन्हीं में से किसी एक छेद में ‘हड्डी और गाजर’ छिपा दी।
इसके बाद उसने कुत्ते और खरगोश को बुलाकर कहा कि ‘हड्डी और गाजर’ को पहले खोजकर लाएगा उसे मैं इनाम दूंगा। इन दोनों जानवरों में से खरगोश बहुत आशावादी था और कुत्ता बहुत निराशावादी। खरगोश को आशा थी कि वो जल्दी से हड्डी और गाजर निकालकर ला देगा, वहीं कुत्ता बिल्कुल विपरीत निराशा से भरा हुआ था। उसे लगाकर इतने बड़े खेत में कैसे गाजर और हड्डी खोजकर लाई जा सकती है।
यही सोचकर कुत्ता खेत में बने एक बड़े से गड्ढे के पास बैठ गया। उसने गाजर और हड्डी खोजने के लिए कोई प्रयास नहीं किया, वहीं खरगोश पूरे जोश के साथ खेत में गाजर ढूंढने में लग गया। उसने एक-एक कर सारे छेद देखे लिए लेकिन उसे ‘हड्डी और गाजर’ कही नहीं मिले। आखिर में कुत्ते के पास वाला गड्ढा देखना रह गया। बस फिर क्या था, उसकी कोशिश रंग लाई और वहीं ये दोनों चीजें उसे मिल गई। अब तो उसकी खूशी को ठिकाना ही नहीं था।
कुत्ते की निराशावादी सोच खरगोश बड़े आराम से जीत गया। खरगोश ने मेहनत की और अपनी उम्मीद नहीं छोड़ी और अंत में वह सफल हुआ। लेकिन कुत्ते ने पहले ही हार मान ली थी। उसने सोचा कि इतने बड़े मैदान में ‘हड्डी और गाजर’ मिल ही नहीं सकते और इसिलिए उसने कोशिश तक नहीं की। इसलिए जिंदगी में कभी निराश नहीं होना चाहिए। निराश होकर प्रयास करने से डरना बहुत ही गलत है। समस्याओं के हल प्रयासों से ही निकालें जाते हैं। आप भी अपनी जिंदगी में आगे भी आशावादी सोच और कोशिशों से ही बढ़ सकते हैं।