अम्बिकापुर शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत नाला सफाई सह नाला बेड सुधार के हो रहे कार्यों से जिले में भू-जल संरक्षण में बढ़ोत्तरी के साथ ही वनांचल की बंजर एवं अनउपजाऊ भूमि भी उपयोगी बन रही है। जिले में नरवा विकास के अंतर्गत नालों के संरक्षण तथा संवर्धन एवं भूमि कटाव को रोकने संबंधी किए जा रहे विभिन्न कार्य भू-जल के संरक्षण और संवर्धन में काफी मददगार साबित हो रहे है। वन क्षेत्रों में नाला उपचार के लिए स्टॉप डैम, बोल्डर चेक डैम, गेबियन संरचना, इत्यादि भू-जल आवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण जल संसाधन विभाग की सहायता से तेजी से किया जा रहा है। इन अवसंरचनाओं के निर्माण से वर्षा के जल को रोककर उसका उपयोग सिंचाई एवं भू-जल संरक्षण के लिए किया जा रहा है।
कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के कारण ग्रामीण अर्थव्यस्था को उबारने में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामों में स्वीकृत किए गए कार्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। नरवा विकास के अंतर्गत अम्बिकापुर विकासखंड के चिखलाडीह, नर्मदापारा, नवापारा, कंचनपुर, घंघरी, भफोली आदि दर्जन भर गांव में नर्मदापारा एनीकट योजना से लाभ लिया जा रहा है। इस एनीकट से किसानों को अधिक से अधिक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करा कर जल संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। इससे वनांचल के लोगों को धान, गन्ना, मटर, सरसों आदि के लिए बरसात के पानी पर निर्भर रहने की आवश्यकता न पड़े। एनीकट का प्रभाव समीपस्थ जल स्त्रोतों पर भी नजर आ रहा है। एनीकट के बन जाने से आसपास के कुआं, डबरी, तालाब में भी लगभग 15 से 25 सेंटीमीटर तक जल भराव में वृद्धि हुई है। इससे किसानों को सिंचाई के लिए जल आसानी से मिलने लगा है। फलस्वरूप किसान खरीफ के साथ-साथ रबी फसलों एवं नदी किनारे के उपजाऊ भूमि पर मौसमी साग-सब्जी की खेती कर अपने आय में दोगुना बढ़ोत्तरी कर रहे है। एनीकट निर्माण से ग्रामीण लोगों के आजीविका संवर्धन, स्व-रोजगार की प्राप्ति, आय में वृद्धि एवं जीवन स्तर में सुधार हुआ है। लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण लोगों के सब्जी-बड़ी का कार्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से लाभ दायक सिद्ध हुआ है। जिसमें प्रत्यक्ष रूप से मजदूरी भुगतान एवं अप्रत्यक्ष रूप से उनके सिंचाई क्षेत्रफल के रकबे में बढ़ोत्तरी, जल स्तर में वृद्धि एवं भूमि कटाव में रोकथाम सहित अन्य लाभ शामिल है। इससे आसपास के क्षेत्र में वनों के पुनरूत्पादन में भी वृद्धि हुई है। वन्यप्राणियों के पेयजल सहित आसपास के ग्रामीणों के निस्तार की अच्छी सुविधा उपलब्ध हो रही है।
ग्रामीण किसानों एवं उनके परिवार के आजीविका का मुख्य साधन खेती एवं मजदूरी है। बरसात के आठ माह बाद जो नाला सूख जाता था, एनीकट बनने से इसमें वर्ष भर जल का भराव बना रहता है। इससे उन्हें सिंचाई हेतु जल की प्राप्ति सम्भव हो रही है। जिससे किसानो का धान, गेहूं, चना, सहित सब्जी के उत्पादन में भी रूचि बढ़ रही है। किसानों का कहना है कि अब उन्हें दूसरी जगह आजीविका की तलाश में जाना नहीं पड़ता है। उन्हें अपने खेत में ही रोजगार मिल गया है। नरवा विकास कार्य से आम नागरिक बहुत खुश है और नदी किनारे की भूमि में नवीन तकनीकि से खेती कर अपने आय में वृद्धि एवं अपने परिवार के सदस्यों का भरण पोषण कर रहे है।