भारत ने की बॉयकॉट की बात तो चीन के छूटने लगे पसीने , देने लगा धमकी

0

नई दिल्लीः पहले कोरोना वायरस और फिर LAC पर तनाव के बीच भारत में चीन के बहिष्कार की आवाजें बुलंद होने लगी हैं. इन्हीं आवाजों से अब चीन घबरा गया है. चीन ने इसके खिलाफ प्रोपेगेंडा भी शुरू कर दिया है और अपने मुखपत्र के जरिए भारत को चेतावनी तक दे डाली है।
चीन के लिए भारत एक बहुत बड़ा बाजार हैं जिससे वो हर साल लाखों करोड़ों का सौदा करता है. भारत के लगभग हर सेक्टर में चीन के सामान मौजूद हैं. लेकिन अब इस मौजूदगी को घटाने के लिए देश में कई बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं. खुद देश का व्यापारी समूह चीन के खिलाफ एकजुट होकर एक बहुत बड़े अभियान का आगाज करने जा रहा है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में चीन की कंपनियों का निवेश वर्ष 2014 में 12 हजार करोड़ रुपये था, जो अब पांच गुना बढ़कर 60 हज़ार करोड़ रुपये हो गया है. असल में चीन किसी तीसरे देश की कंपनियों के जरिए भारत में कई सेक्टर में निवेश कर रहा है. वर्ष 2019 में भारतीय स्टार्ट-अप्स में चीन का निवेश करीब 94 फीसदी बढ़ा है. 2018 में चीन के निवेश का आंकड़ा करीब 15 हज़ार करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष बढ़कर 29 हजार करोड़ रुपये हो गया है.
भारत में 30 बड़े Start-ups में से करीब 18 स्टार्ट-अप में चीन के निवेशकों का पैसा लगा है. भारत की 75 से ज़्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें चीन के निवेशकों ने पैठ बना ली है. ये कंपनियां ई-कॉमर्स, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी, मीडिया और सोशल मीडिया और लॉजिस्टिक की फील्ड में काम करती हैं. सिर्फ यही नहीं चीन के वीडियो ऐप टिकटॉक ने भारत में गूगल के यूट्यूब को पीछे छोड़ दिया है. भारतीय बाज़ार में चीन के OPPO और XIAOMI जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा स्मार्टफोन बेच रही हैं. इनका मार्केट शेयर करीब 72 फीसदी हो चुका है.
एक तरफ चीन जहां अमेरिका के साथ भारत के मजबूत होते रिश्तों से परेशान है तो दूसरी तरफ दुनिया के आठ देशों ने चीन के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाया है. ये गठबंधन न सिर्फ चीन के खिलाफ रणनीति बनाएगा बल्कि उसे जवाब भी देगा. चारों तरफ से घिरता चीन अब बौखलाया गया है. चीन के खिलाफ दुनिया ने मोर्चाबंदी तेज कर दी है. चीन पहले से ही दक्षिण सागर, हांगकांग और कोरोना वायरस के मुद्दे पर दुनिया के कई देशों के निशाने पर है और अब चीन के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए दुनिया के 8 देश एकजुट हो गए हैं.
चीन के खिलाफ बने गठबंधन का नाम इंटर पार्लियामेंटरी अलायंस ऑन चाइना (IPAC) रखा गया है. इसमें अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्य शामिल हैं. गठबंधन का मकसद चीन से जुड़े मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाना और सहयोग के साथ उचित जवाब देना है. अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो IPAC के सह-अध्यक्षों में से एक हैं. आठों देश चीन को वैश्विक चुनौती के तौर पर देख रहे हैं.

अब चीन को घेर कर पटखनी देने के लिए आठ देशों ने मिलकर चक्रव्यूह तैयार किया है. भारत के साथ लद्दाख सीमा पर जारी तनाव पर भी दुनिया की नजर है. ऐसे में अमेरिका समेत 8 देशों ने चीन की ताकत को वैश्विक व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकारों के लिए खतरा मानते हुए एक महागठबंधन बनाया है.अब तक खुलकर सामने नहीं आये इन देशों ने अब गठबंधन बनाकर चीन के खिलाफ दुश्मनी का ऐलान कर दिया है. ये गठबंधन चीन की हर हरकत का माकूल जवाब देने की रणनीति पर काम करेगा और संप्रभुता की आड़ में चीन की मनमानी को नाकाम करेगा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here