अम्बिकापुर
एक बार फिर से शहर में मेडिकल लापरवाही का मामला सामने आया है जिसने एक नवजात बच्चे से उसकी मां को छीन लिया है।
मामला अम्बिकापुर के संकल्प हॉस्पिटल का है जहां एक महिला की सिजेरियन डिलीवरी के 7 घंटे बाद मौत हो गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के सदर रोड निवासी अंजनि विश्वकर्मा पति उदय शंकर विश्वकर्मा 30 वर्ष को 2 दिसंबर की सुबह डिलीवरी के पूर्व होने वाली जांच के लिए संकल्प अस्पताल लाया गया था।
जहां अस्पताल संचालिका गायनोलॉजिस्ट डॉ. लता गोयल ने सिजेरियन से उसी दिन डिलीवरी होने की बात बोलकर 8.29 में प्रसव करा दिया जबकि डिलीवरी में एक महीने का समय बचा हुआ था। सिजेरियन डिलीवरी से महिला ने एक स्वस्थ्य पुत्र को जन्म दिया था। डिलीवरी के बाद से ही महिला की हालत ठीक नहीं थी और जब इस बात की सूचना परिजनो द्वारा नर्स को दिया गया तो नर्स ने दर्द में डॉक्टर क्या करेगी का जवाब दिया। महिला की हालत खराब होते देख परिजन डॉक्टर लता गोयल के पास पहुंचे परंतु डॉक्टर लता गोयल ने इस बात को टाल दिया और वह महिला मरीज को चैक करने नहीं आई।
जब मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई तब डॉक्टर द्वारा मरीज को 2:00 बजे आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। और परिजनो को महिला के हालत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। दोपहर 3 बजे महिला के पति को बुलाकर किसी फॉर्म में साइन कराया गया। 4.30 में अस्पताल प्रशासन द्वारा परिजनों को बताया गया कि मरीज की मौत हो गई है।
लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ता है पैसे का खेल
अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमे अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों की जिंदगी को ताक में रखते हुए उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हुए उनके परिजनों से पैसे लूटने के लिए उन्हें गुमराह किया जाता है चाहे इसमें मरीज की मौत ही क्यों ना हो जाए।
गौरतलब है कि ऐसी क्या इमरजेंसी थी कि डॉक्टर लता गोयल द्वारा जनवरी में होने वाले प्रसव को दिसंबर में ही करा दिया गया।
किसी भी मरीज को एडमिट करने के बाद अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी मरीज की उचित देखभाल की होती है लेकिन डॉक्टर लता गोयल का मरीज की हालत खराब होने की बात परिजनों द्वारा बार-बार बताने के बाद भी मरीज को देखने नहीं आना एक बड़ी लापरवाही हैं।
ऑपरेशन के दौरान ऐसी क्या लापरवाही हो गई थी जिससे मरीज की 7 घंटे में ही मौत हो गई। और अगर कोई समस्या थी तो परिजनो से अवगत क्यों नहीं कराया गया।
निजी अस्पतालों में अक्सर देखा जाता है कि प्रसव के लिए आई महिलाओं का अधिकतर ऑपरेशन ही किया जाता है जबकि सरकारी अस्पतालों में सामान्य डिलीवरी पर जोर दिया जाता है सोचने वाली बात तो यह है कि क्या पैसा इंसानों की जिंदगी से ज्यादा कीमती है।
इसका कारण कहीं सिजेरियन डिलीवरी में मिलने वाली मोटी रकम तो नहीं है?
क्या डॉक्टर के लिए इंसानों की जिंदगी का कोई मोल नहीं है,खैर मामला जो भी हो मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा।