आचार्य डॉ अजय दीक्षित
कानपुर नगर:- देशभर में विजयादशमी का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। विजयादशमी यानी दशहरा के दिन रावण दहन असत्य पर सत्य की विजय और बुराई पर अच्छाई की विजय के रुप में मनाया जाता है। दशानन यानी रावण दहन के अलग-अलग अंदाज देशभर में देखने को मिलते है, लेकिन यूपी के कानपुर नगर में रावण का एक मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है और फिर सालभर के लिए बंद हो जाता है।
यह मंदिर यूपी के कानपुर के शिवाला में स्थित है। यह मंदिर दशानन मंदिर के नाम से जाना जाता है जो साल में सिर्फ एक बार खुलता है। इस मंदिर में दशहरे के दिन रावण की पूजा होती है और फिर इसे बंद कर दिया जााता है। लिहाजा यह सिर्फ विजयादशमी के दिन ही खुलता है और फिर से साल भर के लिए बंद हो जाता है। यह मंदिर दशहरे के दिन सुबह 8 बजे से ही खुल जाता है और श्रद्धालु रावण की पूजा करते हैं। रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया जाता है। फिर रावण की आरती होती है। उसके बाद शाम में मंदिर के कपाट एक साल के लिए बंद कर दिए जाते है।
जानकारी के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 120 साल पहले महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था। दरअसल शिवाला इलाके में कई मंदिर हैं जिनमें एक मंदिर लंका के राजा रावण का भी है।
इस मंदिर के पुजारी के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि दशहरे के ही दिन रावण का जन्म और मृत्यु दोनों हुआ था। इसलिए यह रावण की जन्म तिथि के साथ पुण्यतिथि भी है।
जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में आते हैं उन्हें रावण के प्रति श्रद्धा होती है और ऐसा माना जाता है कि दशहरे के दिन रावण के मंदिर में जो भी मांगा जाए वह अवश्य पूरी होती है। यहां परिसर में स्थित शिव मंदिर में जल चढ़ाने और पूजा अर्चना करने आने वाले श्रद्धालु शिव की पूजा के बाद रावण के मंदिर में पूजा अर्चना करते है ।