प्रशान्त कुमार
अम्बिकापुर राष्ट्रीय उरांव संस्कृति सुरक्षा समिति मंच ईसाई धर्म के लोगों के द्वारा आयोजित किए जा रहे मिस्टर एंड मिस आदिवासी (कुरुख) का विरोध करना शुरू कर दिया है उरांव समाज का कहना है कि ईसाई धर्म के लोगों द्वारा हमारी संस्कृति और हमारी मान मर्यादा का मजाक बनाया जा रहा है तथा इसके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है हमारे सभ्यता में इस प्रकार की कृतियों के लिए कोई स्थान नहीं है।
उराव समाज द्वारा आयोजन करने वाले ईसाई मिशनरियों पर अपराधिक मामले दर्ज कर उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है तथा इस आयोजन को तुरंत रोकने की भी मांग की है। मिली जानकारी के अनुसार खाद्य मंत्री इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले हैं।
राष्ट्रीय उराव संस्कृति सुरक्षा मंच ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
मंच ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपना विरोध जताया तथा इस आयोजन को ना आयोजित करने की भी मांग की मंच का कहना है कि हमारे समाज हमारी संस्कृति का ईसाई मिशनरियों द्वारा मजाक उड़ाया जा रहा है इसके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है हमारे रीति-रिवाजों का पालन नहीं करते हुए तथा जो हमारे रीति रिवाज में नहीं है ऐसे ऐसे तथ्यों के साथ इस आयोजन को आयोजित किया जा रहा है।
इस संबंध में हमारी बात राष्ट्रीय उराव संस्कृति सुरक्षा मंच के प्रांत संयोजक श्री करणसाय जी से हुई जिस पर उनका कहना है कि ईसाई मिशनरियों द्वारा हमारे संस्कृति के साथ एक भद्दा मजाक किया जा रहा है, तथा कर्मा त्यौहार में भी ईसाईयों द्वारा हमारे रीति रिवाज पूजा-पाठ का मजाक उड़ाया जाता है जिस कर्म डार को हम भगवान के स्वरूप मानते हैं तथा जिसके लिए माताएं बहने उपवास रखती हैं तथा पूजन हो जाने के बाद उसका विधिवत विसर्जन किया जाता है उसको ईसाइयों द्वारा रात भर बिना उपवास रहे डांस करके सुबेरे फेंक दिया जाता है जिससे हमारी संस्कृति का अपमान हो रहा है।
धार्मिक भावनाओं को पहुंचाया जा रहा है ठेस
1 ईसाई धर्म के द्वारा बिशप हाउस में कार्यक्रम आयोजित कर हमारी परंपराओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ।
2 ईसाइयों द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में आदिवासी वंश के मूल सिद्धांतों, रीति-रिवाजों का संस्कृति को विकृत एवं नष्ट करने के लिए उद्देश्य इस प्रकार का आयोजन किया जा रहा है, इस प्रकार की कृतियां धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली है जोकि भारतीय संविधान की अनुच्छेद 13 उपनयन 3 (क) का साफ तौर पर उल्लंघन है
3 ईसाईयों द्वारा चलाया जा रहा यह आयोजन हमारी रूढ़ी परंपरा, संस्कृति को नष्ट करने वाला है जो भारतीय दंड विधान संहिता कानून 153 (ख) के तहत दंडनीय हैं।