देवशरण चौहान
दंडकारण्य समेत देशभर में तेजी से सिकुड़ रहा नक्सलवाद नौ बड़े नक्सली नेताओं की मौत के बाद और कमजोर हुआ है। बस्तर में साढ़े तीन दशक तक नक्सलवाद की कमान संभालने वाले रावुलू श्रीनिवास उर्फ रमन्ना की मौत के आठ महीने बाद भी नक्सली उसकी जगह नया नेता नहीं तलाश पाए हैं। रमन्ना दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव और सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। उसकी मौत से बस्तर में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। अन्य बड़े नक्सली नेताओं की मौत से संगठन में बिखराव संभव है।
नक्सली 28 जुलाई से मारे गए साथियों की याद में शहीदी सप्ताह मनाने जा रहे हैं। इस मौके पर नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी ने पर्चा जारी कर यह स्वीकार किया है कि एक साल में देशभर में बीमारी, मुठभेड़ और कथित मुठभेड़ में उनके 105 साथी मारे गए हैं। इनमें बिहार-झारखंड के चार, दंडकारण्य के 67, आंध्र-ओडिशा बॉर्डर इलाके के 14, सेंट्रल रिजर्व कमेटी नंबर-दो का एक, महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन के नौ और पश्चिमी घाट इलाके के चार नक्सली शामिल हैं।