खर्च लाखों रुपए फिर भी नहीं मिल रहा पौष्टिक आहार मेनू से रोटी भी गायब भर्ती मरीजों में दिखा आक्रोश

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर भूषण बघेल जिला  चिकित्सालय का ही जब ये आलम है तो बाकी का तो पूछिए ही मत जी हां आपको बताते चलें कि जिला  चिकित्सालय में इलाज करा रहे मरीजों में उस समय आक्रोश देखने को मिला जब उन्हें मिलने वाले भोजन में  मरीजों को मिलने वाले गुणवत्ता व पौष्टिकता पूर्ण भोजन नही मिला  भोजन तो भोजन भरपेट खाना भी नहीं मिल रहा है
सुबह के नाश्ते में मिलने वाले अंडे को छोड़ दें तो मरीज और किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ को खाना तक मुनासिब नहीं समझते। नाश्ते में मिलने वाले मौसमी फल की जगह प्रतिदिन एक केला दिया जाता है  दूध की जगह पाउडर के दूध को पानी में मिलाकर दिया जाता है, सूत्र
जिसे अधिकांश मरीज लेने से इंकार कर देते हैं  जबकि दोपहर के खाने में में कम चावल के साथ साथ पतली दाल व एक हल्की सब्जी  दी जाती है

मरीजों को मिलने वाली रोटी भी थाली से गायब

वहीं रात में   रोटी तो कभी कभार ही दिया जाता है  मरीजों ने बताया कि रोटी अगर दिया भी जाता है तो एक रोटी बस  हल्की सब्जी व पतली दाल दी जाती है  किसी भी मरीज को
मैनु के अनुसार नहीं कराया जाता भोजन उपलब्ध

गौरतलब है कि सूरजपुर जिला एक बड़ा जिला है और ज्यादातर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों से घिरा हुआ है जिले सहित अन्य जिले के भी लोग स्वास्थ्य लाभ हेतु स्वास्थ्य लाभ हेतु जिला मुख्यालय के इस जिला अस्पताल में आते हैं चुंकी सूरजपुर जिला के अंतर्गत आने वाले ज्यादातर गांव   दुरांचल क्षेत्र से घिरा हुआ है ऐसे में ऐसी व्यवस्था चिंता का विषय है
जिला चिकित्सालय में इलाज हेतु आए मरीजों  को पोषण युक्त और गुणवत्ता पूर्ण भोजन खिलाने का ठेका दिया गया है
लेकिन मरीजों को अक्सर गुणवत्ता विहीन  खाना दिए जाने की शिकायत मरीज करते हैं

आए दिन खबरों में भी सुर्खिया बटोर रहा जिला अस्पताल में दिए जाने वाला भोजन

महिला मेडिकल वार्ड में भर्ती एक  मरीज ने बताया कि बुधवार सुबह वह एडमिट हुई, उसे नाश्ता यह कहकर नहीं दिया कि आज ही एडमिट हुई हो, खाना में एक  हल्की चावल, पतली दाल व सब्जी दी गई

किचन में नहीं की जाती है समुचित सफाई

सूरजपुर अस्पताल के जहां पर खाना बनाया जाता है वहां समुचित साफ-सफाई भी नहीं की जाती है


आखिर क्या कारण है कि जिला प्रशासन के द्वारा एक ही समूह को बार-बार टेंडर दिया जाता है

क्या टेंडर प्रक्रिया में भी है झोल झल यह तो आने वाला समय ही बताएगा
जिला चिकित्सालय के बने कैंटीन के बगल में इतनी गंदगी पसरी है कि कैंटीन में आने वाले कैंटीन के बदबू से ही अच्छा आदमी मरीज बन जाएगा और उसकी गंदगी से बीमार हो जाएगा

क्या जिला चिकित्सालय में मरीजों को दिए जाने वाले भोजन व जिला चिकित्सालय में संचालित कैंटीन को मैनुअल के हिसाब से चलाया जा रहा है यह भी एक चिंता का विषय है यदि इसकी बारीकी से जांच की जाए तो कई कामिया सामने आएंगे

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