बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निकायों के वार्ड परिसीमन पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं ने वार्डों के परिसीमन को नियम के विरुद्ध बताया था। कोर्ट के इस फैसले से राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है। मामले में अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद तय की गई है। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई।
दरअसल, राजनादगांव नगर निगम, कुम्हारी नगर पालिका और बेमेतरा नगर पंचायत में वार्डों के परिसीमन को लेकर चुनौती दी गई थी। तीनों याचिकाओं का केस एक जैसा था। इसलिए कोर्ट ने तीनों याचिकाओं को एक साथ मर्ज करते हुए सुनवाई शुरू की। मामले में याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है। उसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार माना है।
पुरानी जनगणना के आधार पर सीमांकन
वार्ड परिसीमन के लिए बनाए गए नियमों के अनुसार अंतिम जनगणना को आधार माना गया है। राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में भी परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट्स का तर्क था, कि राज्य सरकार ने इसके पहले साल 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य किया है। जब आधार एक ही है तो इस बार फिर परिसीमन का कार्य क्यों किया जा रहा है।
कोर्ट ने परिसीमन पर लगाई रोक
वकीलों के इस तर्क पर सहमति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में वर्ष 2024 में फिर से परिसीमन क्यों किया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब वर्ष 2011 की जनगणना को आधार मानकर 2014 और 2019 में वार्डों का परिसीमन किया गया था। जनगणना का नया डाटा तो आया नहीं है। वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है। फिर उसी को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरुरत क्यों पड़ रही है।
आदेश के बाद परिसीमन का काम रुका
याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट और पूर्व एजी सतीशचंद्र वर्मा, अमृतो दास, रोशन अग्रवाल केस लड़ रहे थे। वहीं, राज्य की ओर से प्रवीण दास उप महाधिवक्ता और विनय पांडेय के अलावा नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की। कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के निकायों के परिसीमन के बाद दावा आपत्ति मंगाने का काम किया जा रहा था। उस पूरी प्रक्रिया पर रोक लग गई है।