हाथ धुलाई से खुशियां आए, बीमारियां नहीं: गोवर्धन सिंह

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर भूषण बघेल – हमारे हाथों में अनदेखी गंदगी छिपी होती है जो किसी भी वस्तु को छूने उसका उपयोग करने व कई तरह के दैनिक कार्यों के कारण होती है। यह गंदगी बगैर हाथ धोए खाद्य एवं पेय पदार्थों के सेवन से आपके शरीर में जाती हैं और बीमारियों को जन्म देती हैं। हाथों की धुलाई के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य  से स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय बतरा में हाथ धुलाई का पूर्वाभ्यास के साथ ही कई महत्वपूर्ण  जानकारी प्रदान की गई।

इस अवसर पर बतरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जे. बी. सिंह ,
कुमारी अनिता सिंह स्टाफ नर्स, पुष्पा राजवाड़े एएनएम, रजनी राजवाड़े, नवकुमारी, पुष्पा राजवाड़े मितानिन उपस्थित रहीं। डॉक्टर सिंह ने अपने वक्तव्य में बताया कि हाथ धोना हमारे लिए कितना जरुरी है, यह तो सबको समझ में आ ही गया है। क्योंकि हाथ धुलने से बीमारियों का खतरा काफी कम हो जाता है। जब कोविड—19 जैसी बीमारियों ने दस्तक दी, तब सबको एक ही हिदायत दी गई कि किसी भी चीज को छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। साबुन से 30 सेकंड तक हाथ धोएं। इससे हम हैजा, डायरिया, निमोनिया और कोविड-19 जैसी वैश्विक बीमारी को भी परास्त कर सकते हैं।
अगर हम पुरानी परम्परा की बात करें तो किसी भी नवजात शिशु को 6 दिन तक किसी अन्य व्यक्ति के हाथ में नहीं दिया जाता। ताकि गंदे हाथों की वजह से उसे संक्रमण न हो जाए। साथ ही लोगों को हिदायत दी जाती है कि बच्चे को गोद में लेने से पहले हाथ जरुर साबुन से साफ करें। क्या आप जानते हैं कि बच्चों में 50% तक कुपोषण का कारण… सिर्फ साफ पानी न पीने और हाथों को अच्छी तरह साफ न करने से होता है। इस वजह से बच्चों में डायरिया का खतरा 40 प्रतिशत का बढ़ जाता है। आपको बता दें कि बच्चों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। वे अगर बार—बार साफ पानी से हाथ न धोएं तो बैक्टीरिया और जर्म उन पर हावी हो जाते हैं।
विद्यालय के प्राचार्य गोवर्धन सिंह ने इसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हाथ धुलाई सिर्फ एक अच्छी हाइजीन आदत ही नहीं बल्कि भारत जैसे देश में अलग-अलग धर्मों में इसका महत्व है, क्योंकि हाथ धुलाई को आध्यात्मिक शुद्धता से भी जोड़ा गया है। विभिन्न धार्मिक स्थानों में प्रवेश करने से पहले हाथों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है। पुराने समय में घरों के बाहर लोग पानी की व्यवस्थता करके रखते थे। ताकि जो भी मेहमान घर आएं, वह पहले हाथों को धोंए फिर घर के अंदर प्रवेश करें। ताकि मेहमान सिर्फ खुशियां लेकर आएं, बीमारियां नहीं।
एएनएम आरती सिंह बताया कि बचपन में ही हमें स्कूल में सिखाया जाता था कि खाना खाने के पहले हाथ धोना चाहिए। इसके अलावा भी सफाई से जुड़ी कई अच्छी आदतें हमें बचपन से ही सिखाई गई, लेकिन दुनिया भर में कई लोग आज भी उनके प्रति जागरूक नहीं है। आज के इस कार्यक्रम का उद्देश्य हाथ धुलाई की जागरूकता को समाज तक पहुंचना है ।हमारे हाथों में गंदगी के सूक्ष्म कण जमा होते रहते हैं। किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने, एवं कई तरह के दैनिक कार्यों के कारण हाथ गंदे होना स्वाभाविक है, बगैर हाथ धोएं खाद्य पदार्थों का सेवन करने से यह गंदगी हमारे शरीर में चली जाती है, जो कई बीमारियों को जन्म देती है। हाथ धुलाई के द्वारा समाज के साथ-साथ पूरे विश्व में जागरूकता पैदा करना है।
उपरोक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के प्राचार्य गोवर्धन सिंह सहित समस्त शिक्षकों का सराहनीय योगदान रहा।

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