नई दिल्ली : ये ख़बर सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है कि उनकी सांस्कृतिक-साहित्यिक धरोहर को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड एशिया पैसिफ़िक के रीजनल रजिस्टर’ में शामिल कर लिया है। रामचिरतमानस और पंचतंत्र अब वैश्विक स्तर पर भी पहचान बनेंगे। 2024 के संस्करण में एशिया पैसिफिक की 20 धरोहरों को शामिल किया गया है, जिनमें रामचरित मानस और पंचतंत्र के साथ ही सहृदयालोक-लोकन की पांडुलिपि भी है। भारतीय जहां बचपन से ही पंचतंत्र की कहानियां सुनते हैं, उनसे सीख लेते हैं वहीं गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस के पाठ करते हैं, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं भी जु़ड़ी हुई हैं।
