आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
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*दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया*।
*आज हमको मुस्कुराये भी जमाना हो गया*।
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*आदमी तो आदमी की जान का प्यासा रहा*।
*खेल राजाओं का था सरवन निशाना हो गया* ।
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*किस तरह मक्कारियां करने लगा है आदमी*।
*हम गरीबों का लहू उनका खजाना हो गया*।
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*इश्क के अब नाम से भी डर बहुत लगने लगा*।
*हाथ आई बेबशी लेकिन फसाना हो गया*।
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*अब मदद करना “अजय” अपराध सा होने लगा*।
*होम करते हाथों को अपने जलाना हो गया* ।