दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया

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आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
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*दर्द का इस रूह से रिश्ता पुराना हो गया*।

*आज हमको मुस्कुराये भी जमाना हो गया*।

*-1-*

*आदमी तो आदमी की जान का प्यासा रहा*।

*खेल राजाओं का था सरवन निशाना हो गया* ।

*-2-*

*किस तरह मक्कारियां करने लगा है आदमी*।

*हम गरीबों का लहू उनका खजाना हो गया*।

*-3-*

*इश्क के अब नाम से भी डर बहुत लगने लगा*।

*हाथ आई बेबशी लेकिन फसाना हो गया*।

*-4-*

*अब मदद करना “अजय” अपराध सा होने लगा*।

*होम करते हाथों को अपने जलाना हो गया* ।

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