हिंद स्वराष्ट्र भरतपुर गणेश तिवारी : एमसीबी जिले के विकाशखण्ड भरतपुर मे अधिकतर समूह द्वारा बच्चों के भोजन में काफी कांटामारी की जा रही है क्योंकि अब गिनती के स्कूल होंगे जहाँ बेहतर भोजन मिलता है उसी दर पर जो प्रत्येक समूह को मिलता है। प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे पर रोजाना 6.18 रुपए और पूर्व माध्यमिक के बच्चे पर 7.45 रुपए खर्च किए जाते हैं।
बच्चों को पौष्टिक आहार मिले इसके लिए मध्याह्न भोजन प्रारंभ किया गया, लेकिन मध्याह्न भोजन में अब पूर्व की तरह पौष्टिकता नहीं बची है और न किसी स्कूल में दिखने को मिल रहा है बच्चों को अब केवल सामान्य चावल, दाल और सब्जी ही खिलाया जाता है ओ भी अधिकतर आलू और सोया बड़ी। खीर, पूरी, सलाद, पापड़ और आचार तो बीती बात हो चुकी है। अंडा या केला देना भी बंद चुका है। जबकि राशि पूर्व की तरह यथावत है केवल कांटामारी के चक्कर में मेन्यू का पालन नहीं किया जा रहा है। सब्जी के नाम पर बच्चों को केवल कभी कभार केला और आलू ही खिलाया जा रहा है।
एमसीबी जिले के विकाशखण्ड भरतपुर में अध्ययनरत इन बच्चों के लिए रोजाना ही मध्याह्न भोजन बनाया जाता है एवम दिया जाता है। लेकिन अब इनके भोजन से वह पौष्टिकता गायब हो चुकी है जो पूर्व में मिलती थी। चूंकि अब महिला स्वसहायता समूह मध्याह्न भोजन संचालित करती है तो इन पर विभागीय दबाव भी नहीं है। इसके चलते बच्चों की थाली में केवल सादा भोजन ही रह गया है। जबकि प्रतिदिन बच्चों के लिये शासन द्वरा लाखो रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
पूर्व में मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी प्रधानपाठकों पर थी, जिसके कारण बच्चों को मेन्यू के अनुसार ही भोजन परोसा जाता था। प्रधानपाठकों पर दबाव भी रहता था कि बेहतर भोजन नहीं मिलने पर कार्रवाई हो जाएगी, लेकिन अब बच्चों को केवल चावल, दाल और सब्जी परोसी जा रही है बाजवूद कोई बोलने वाला नहीं है। चार साल पूर्व खीर, पुरी, सलाद, आचार, पापड़, अंडा, केला भी मेन्यू में शामिल था, रोजाना नहीं कम से कम सप्ताह में एक बार तो मिलता ही था, लेकिन अब तो वह भी बंद हो चुका है।
अधिकतर समूह द्वारा बच्चों के भोजन में काफी कांटामारी की जा रही है क्योंकि अब भी गिनती के स्कूल में बेहतर भोजन मिलता ही नहीं है उसी दर पर जो प्रत्येक समूह को मिलता है। प्राथमिक स्कूल के प्रत्येक बच्चे पर रोजाना 6.18 रुपए और पूर्व माध्यमिक के बच्चे पर 7.45 रुपए खर्च किए जाते हैं। खाना स्कूल में पहुंचने वाले प्रत्येक बच्चे के हिसाब से बनता है जबकि खाना 80 से 90 प्रतिशत बच्चे करते हैं। शहर में तो बड़ी संख्या में बच्चे अपने घर चले जाते हैं खाना खाने।
मेन्यू का पालन नहीं
किसी भी दिन मध्याह्न भोजन मेन्यू का पालन नहीं किया जा रहा है। बच्चों को चावल, दाल के अलावा मौसमी सब्जी में जो सबसे सस्ती सब्जी होती है वह खिलाया जाता है। मुख्य रूप से केला आलू और सोया बड़ी जैसे सब्जी ही रोजाना परोसा जाता है।
जब इस बारे में समूह के सचिव और अध्य्क्ष से बात हुई तो उनके द्वारा पैसा न मिलने का हवाला दिया जाता है कि शासन के द्वारा हमको समय पर पैसा भुकतान नहीं किया जाता और महंगाई बढ़ गयी है जिस हिसाब से पैसा का भुकतान किया जता है उतनी रकम पर्याप्त नहीं है और समय से भुकतान नहीं होता ताजा मामला ग्राम पंचायत घघरा का प्रथमिक शाला सादनटोला घघरा का है वहा पदस्थ शिक्षिका ने बताया ने बताया कि समूह द्वारा मेन्यू के अनुसार बच्चो को मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा है इसी तरह कई शिक्षको नें बताया की मेन्यू के अनुसार नही दिया जा रहा है जब इस बारे में हमारी बात जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा से हुई तो उनके द्वारा जांच करने की बात कही गई और कहा गया की जांच के उपरांत 2-3 दिन में बताता हूँ।