हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : क्या लोक सेवा आयोग के स्थान पर नोट सेवा प्रयोग का इस्तेमाल कर अभ्यर्थी बन रहे हैं आईएएस? यह हमारा नही बल्कि कहना हैं वरिष्ठ अधिवक्ता एवम् आरटीआई कार्यकर्ता ए. एन. पाण्डेय का। उन्होंने पत्रकारों को दिए अपने बयान में यह आरोप पूर्व नगर पालिक निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई पर लगाए हैं। उनका आरोप हैं कि प्रतिष्ठा ममगई द्वारा अपने पद की अवमानना करते हुए अनावेदक डॉ किरण भजगावली को संरक्षण दिया जा रहा हैं। ममगई द्वारा डॉ किरण द्वारा अवैध निर्माण की बात स्वयं स्वीकार करने के बावजूद निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर निगम आयुक्त के आदेश की अवहेलना करते हुए डॉ किरण को लाभ पहुंचा रहे हैं।
अपने ही आदेश के खिलाफ नोटशीट चला ले लिया अनावेदक से जवाब
क्या आपने कभी किसी अधिकारी को अपने ही आदेश के खिलाफ में जवाब स्वीकार करते सुना हैं?? बेशक नही सुना होगा क्युकी कोई भी IAS अधिकारी ऐसा बेवकूफी भरा कारनामा शायद ही करता हो लेकिन IAS प्रतिष्ठा ममगई द्वारा अपने आदेश के खिलाफ किरण भजगावली द्वारा दिए गए जवाब को स्वीकार कर लिया गया हैं। जबकि नियम यह कहता हैं कि किसी भी अधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील होती हैं या फिर पुनरीक्षण होती हैं।
अपने आदेश का कांट ढूंढने लगा रहे वकीलों के चक्कर
आईएएस प्रतिष्ठा ममगई द्वारा अपने ही आदेश का कांट ढूंढने के लिए वकील को पत्र लिखकर जरूरी सलाह मांगी गई है। आखिर ऐसा क्या कारण हैं जो निगम आयुक्त को अपने ही आदेश के खिलाफ कानूनी सलाह के लिए अधिवक्ता से अभिमत मांगना पड़ रहा हैं।
IAS अधिकारी के कारनामों से तंग आकर आवेदक ने संभागायुक्त सरगुजा से FIR दर्ज कर की कार्यवाही की मांग
आवेदक ए. एन. पाण्डेय द्वारा पूर्व नगर निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई तथा वर्तमान नगर पालिक निगम आयुक्त समेत 5 लोगो के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 195 के तहत न्यायिक कार्यवाही की मांग की हैं।
कार्यवाही की आश लिए रोज लगा रहे कार्यालयों के चक्कर
किरण भजगावली द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटाने की मांग को लेकर आवेदक रोज निगम आयुक्त तो कभी संभागायुक्त के कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर हैं। लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा हैं। देखने की बात होगी की संभागायुक्त द्वारा दिए गए अपने आदेश पर क्या अमल कराया जा पाता है या सिर्फ कागजी कार्रवाई में ही मामला रफा दफा कर दिया जाता हैं।