हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : कृषि विभाग द्वारा मिलेट्स योजना के नाम पर सरकार को 90 लाख का चूना लगाया गया है। अधिकारी कर्मचारियों द्वारा 90 लाख का पूरा गबन कर लिया गया लेकिन उन्हें आज तक यह मालूम नही पड़ सका हैं की कौन सी योजना के लिए पैसे आए हुए थे और उसे कैसे खर्च करना था…? इस घोटाले का खुलासा आरटीआई द्वारा हुआ हैं। पूरे मामले के खुलासे के बाद इस मामले में विभाग द्वारा अपने बचाव के लिए जो कागजात दिए गए हैं उसने भी हुए घोटाले की पूरी तरह से पोल खोल कर रख दी हैं।
दरअसल मामला अविभाजित कोरिया जिले के कृषि विभाग का हैं जहां के उप संचालक पीताम्बर सिंह दीवान के कार्यकाल में यह घोटाला हुआ हैं। आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा मिलेट योजना के नाम पर राज्य सरकार को पैसे दिए गए थे राज्य सरकार द्वारा कार्यालय परियोजना प्रशासक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना बैकुंठपुर जिला कोरिया को 90 लाख रुपए दिए गए थे। विभाग द्वारा इन पैसों को उप संचालक कृषि बैकुंठपुर जिला कोरिया को दे दिया गया था इस पैसे से बैकुंठपुर, सोनहत, खंडगवा, मनेंद्रगढ़ और भरतपुर ब्लॉक में प्रति विकासखंड 18 लाख रुपए व्यय करना था लेकिन इस योजना के लिए आए पैसों का बंदरबांट करते हुए पूरे पैसे गबन कर लिया गया। जब इस मामले में आरटीआई के माध्यम से जवाब मांगा गया तब विभाग द्वारा पहले तो इस योजना से कोई कार्य न होने की बात जवाब में दिया गया। 90 लाख रुपए गायब हो जाने की शिकायत जब कलेक्टर एसपी और कृषि विभाग के संभागीय अधिकारी से की गई तब विभाग द्वारा अपने बचाव के लिए एक पत्र जारी किया गया जिसमे आरटीआई के दूसरे शाखा में चले जाने की भूल का जिक्र करते हुए 483 पृष्ठों की जानकारी पेश की गई। गौर करने की बात यह रही की विभाग द्वारा अपने बचाव के लिए किसी दूसरे योजना के तहत हुए नाडेब टांका निर्माण कार्यों के दस्तावेज को मिलेट योजना के नाम पर भेज दिया गया।
विभाग द्वारा दिए गए कागजों की जांच में भी मिले पूरी तरह से हुए घोटाले के सबूत
विभाग द्वारा दिए गए नाडेब टांका निर्माण कार्य की जब हिंद स्वराष्ट्र की टीम द्वारा जमीनी स्तर पर जांच की गई तो वहां भी किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं पाया गया। इस मामले में जब कागजों में मिले हितग्राहियों से बयान लिया गया तो हितग्राहियों ने बताया की उनके नाम का गलत उपयोग किया गया हैं। जिस योजना में उन्हें हितग्राही बनाया गया हैं उस योजना का उन्हें कोई लाभ मिला ही नहीं हैं। दूसरी ओर विभाग द्वारा नाडेब टांका निर्माण के नाम पर सभी ब्लॉक में अलग अलग राशि हितग्राहियों को देने का जिक्र किया गया हैं। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि जब केंद्र सरकार द्वारा पैसे मिलेट्स योजना के नाम पर दी गई थी तो उस राशि का उपयोग दूसरी योजना में कैसे किया गया?? दूसरा प्रश्न यह उठता हैं कि जब योजना एक थी तो सभी विकासखंड स्तर पर हितग्राहियों को पैसे अलग अलग क्यों दिए गए??
REO ने खोली पोल
इस मामले में REO द्वारा दिए गए अपने बयान में विभाग की पोल खोल दी गई। उन्होंने बताया की उच्च अधिकारियों द्वारा उनसे सफेद कागजों में हस्ताक्षर करवा लिए गए और बाद में उन कागजों पर हितग्राहियों के नाम फोटो आदि लगाकर जाली दस्तावेज तैयार किए गए हैं।
कलेक्टर एसपी से लेकर संभागीय अधिकारी को भी घोटाले की जानकारी लेकिन कार्यवाही नील बटा सन्नाटा
गौर करने की बात यह हैं कि इस घोटाले की जानकारी कलेक्टर एसपी से लेकर कृषि विभाग के संभागीय अधिकारी को भी हैं लेकिन दोषियों पर कार्रवाई का कष्ट किसी अधिकारी द्वारा नही किया जा रहा हैं। जब इस मामले में संभागीय अधिकारी से बयान चाहा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया।