रश्मि नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत मामले डॉक्टर को होना था बर्खास्त उसे 3 महीने बाद किया गया निलंबित कहीं खानापूर्ति तो नहीं?

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रश्मि नर्सिंग होम जच्चा-बच्चा मौत मामले में जिला चिकित्सालय के डॉ रश्मि कुमार का काफी अहम भूमिका था पर निलंबित करने में भी 50 अंकों लग गए 3 महीने!!!
शहर में चर्चा का विषय है कि उसे निलंबित नहीं बर्खास्त होना था पर निलंबित करना कहीं उसे बचाने का प्रयास तो नहीं?
वैसे विभाग ने डॉ रश्मि को दोषी मानते हुए उसे निलंबित करने की कार्यवाही की है।

हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : जिला मुख्यालय सूरजपुर से 3 किलोमीटर दूर तिलस्वा में स्थित रश्मि नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत मामले में 3 महीने बाद नया अपडेट आया है, जिसमें जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ रश्मि को निलंबित कर दिया गया है जो अपने ड्यूटी टाइम में जिला चिकित्सालय में काम करने के बजाय नर्सिंग होम में काम करती थी। इलाज के दौरान ही नर्सिंग होम में जच्चा-बच्चा मौत मामला भी सामने आया था जिसे लेकर लग रहा था कि डॉक्टर रश्मि को बर्खास्त किया जाएगा पर 3 महीने के लंबे इंतजार के बाद सिर्फ निलंबन की कार्यवाही की गई है अब देखना यह होगा कि इससे परिजन कितने संतुष्ट होते हैं या फिर आगे भी कड़ी कार्यवाही की मांग करते हैं।
ज्ञात हो कि जिले के चर्चित रश्मि नर्सिंग होम में हुए जच्चा बच्चा मौत के मामले में 3 महीना बाद विवादित महिला चिकित्सक को राज्य शासन ने निलंबन की कार्यवाही कर संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ सेवाए अंबिकापुर में अटैच किया है। इस कार्यवाही पर परिजनों ने असंतोष जाहिर करते हुए बर्खास्तगी की मांग की है।
क्या हैं पूरा मामला :- विदित हो कि कोरिया जिला के ग्राम खाडा निवासी महेंद्र साहू ने अपनी पुत्री मृतिका पूजा साहू उम्र 22 वर्ष का विवाह 3 वर्ष पूर्व ग्राम नारायणपुर निवासी राम नारायण साहू से विवाह हुआ था। मृतिका का प्रसूती होने के कारण परिजनों ने सोनोग्राफी दिनांक अनुसार 3 अप्रैल को जिला असप्ताल में भर्ती कराया गया था। जहां ईलाज नही होने पर परिजनों द्वारा 4 अप्रैल को अम्बिकापुर निजी अस्पताल में लेजाया जा रहा था। इस दौरान डॉ रश्मि कुमार द्वारा बरगला कर ग्राम तिलसुवा में संचालित अवैध नर्सिंग होम ले गई जहां इलाज के दौरान 5 अप्रैल को जच्चा बच्चा की मौत हो गया था। परिजनों ने जमकर हँगामा किया था। जिसका समाचार प्रमुख्ता से प्रकाशित किया गया था। स्वास्थ्य विभाग के यालाय अफसरों ने मामले में संज्ञान लेकर 5 सदस्यीय जांच टीम गठित किया था। जांच टीम द्वारा जांच के प्रथम दृष्टियां में लापरवाही प्रतीत हुआ था। जिस कारण अस्पताल में कार्यरत 2 स्टाफ नर्स पर निलंबन की कार्यवाही की गया था। जिसके बाद से डॉ रश्मि स्त्री रोग विशेषज्ञ पर निलंबन की मांग किया जा रहा था। जिला स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा पत्राचार कर उच्च कार्यलाय को प्रेषित किया था। जिस पर स्वास्थ्य विभाग के मंत्रालय के अपर सचिव द्वारा 30 जून को निलंबन किया है। निलंबन अवधि तक स्वास्थ्य विभाग के जेडी कार्यलाय में अटैच किया गया है। विभागीय जांच चल रहा है। जिसके उपरांत अन्य कार्यवाही की बात सामने आएगी।
परिजनों की शिकायत पर थाने में हुआ था मामला पंजीबद्ध :- इस मामले में परिजनों ने थाना कोतवाली में लिखित शिकायत देकर नर्सिंग होम संचालिका डॉ रश्मि कुमार इनके पति सहित अन्य नर्सिंग होम संचालक पर आईपीसी 302 का अपराध दर्ज करने की मांग किया गया था। किंतु पुलीस विभाग भी दबाव में आकर कड़ी मश्क्कत के बाद 304 का अपराध दर्ज किया था। इस कार्यवाही से मृतिका के पिता महेंद्र साहू ने असहमति दर्ज कराई है। इन्होंने कहा कि एक बच्चे व माँ की जान डॉ की लापरवाही से गया है। जिसका साक्ष्य सभी के सामने होने के बाद भी 3 माह के बाद शासन ने निलंबन की कार्यवाही की है। जबकि शासन को डॉ रश्मि कुमार को सेवा से बर्खास्त करना चाहिए था तभी मेरी पुत्री के मृत आत्मा को शांति पहुँचेगी।
क्यों नहीं हुई बर्खास्तगी की कार्रवाई?- रश्मि के निलंबन आदेश आने के बाद अब लोगों के जेहन में एक बड़ा प्रश्न उठने लगा है कि जब मामला इतना बड़ा था और जच्चा-बच्चा मौत से जुड़ा हुआ था साथ ही एक सरकारी डॉक्टर का निजी नर्सिंग होम में इलाज करना कोई नर्सिंग होम एक्ट के तहत नियम विरुद्ध नहीं था कई तरह से डॉ रश्मि पर सवाल खड़े हो रहे थे पर इसके बावजूद लोगों को लग रहा था कि उनके ऊपर बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी पर अंततः 3 महीने बाद निलंबन की कार्यवाही होने से लोगों के मन में यह सवाल खड़ा हो रहा है क्या उन्हें बचाने का प्रयास हो रहा है और आखिर यदि बचाने का प्रयास हो रहा है तो क्यों हो रहा है यदि उन्हें इस बार बचाया गया तो आने वाले समय में कई तरह के डॉक्टर भी ऐसा ही करेंगे ऐसा अंदेशा हो सकता है।

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