हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : अंबिकापुर निगम आयुक्त के आदेश को तांक पर रखते हुए डॉ. दंपत्ति अपनी मनमानी कर रहे हैं। निगम आयुक्त द्वारा डॉक्टर दंपति को उनके द्वारा किए गए अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया गया था बावजूद इसके आज पर्यंत दंपति द्वारा अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया है वही निगम भी इस मामले में नोटिस देने के बाद कार्यवाही करना भूल गई है। दरअसल मामला शासकीय मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में पदस्थ डॉक्टर किरण भजगावली और उनके पति राजेश भजगावली का हैं। जिनके द्वारा शासकीय पद में रहते हुए अवैध तरीके से अपना स्वयं का भजगावली अस्पताल संचालित किया जा रहा हैं। शासकीय सेवा में रहते हुए उनके द्वारा कैसे स्वयं का अस्पताल संचालित किया जा रहा हैं यह तो जांच का विषय हैं लेकिन फिलहाल मामला उनके द्वारा संचालित अस्पताल के निर्माण में किए गए घोटाले का हैं जहां डॉक्टर दंपति द्वारा निगम से अस्पताल के लिए नक्शा पास करवाया गया था लेकिन उनके द्वारा स्वीकृत नक्शे के विपरीत जाकर निर्माण कार्य किया गया। जिसपर निगम द्वारा डॉ किरण भजगावली को नोटिस जारी किया गया जिस पर डॉ किरण द्वारा दिए गए जवाब से असंतुष्ट होकर निगम द्वारा डॉ किरण को तीन दिवस के भीतर अवैध निर्माण को हटाने का आदेश दिया गया लेकिन बावजूद इसके 2 माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद डॉक्टर दंपति द्वारा अवैध निर्माण को नहीं हटाया गया है।
नोटिस जारी कर कार्यवाही करना भूल गया निगम
आपको बता दें कि निगम आयुक्त द्वारा 13 अप्रैल 2023 को आदेश जारी किया गया था जिसमें डॉक्टर दंपत्ति को 3 दिन का समय अवैध निर्माण को हटाने के लिए दिया गया था साथ ही साथ आदेश में स्पष्ट रूप से इस बात का उल्लेख किया गया था कि 3 दिन के भीतर अगर उनके द्वारा समाधान कारक जवाब प्राप्त नहीं होता है या अवैध निर्माण को नहीं हटाया जाता हैं तो ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 307 (3) के तहत भवन को हटा दिया जाएगा लेकिन बावजूद इसके आज पर्यंत मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई है। न तो डॉक्टर दंपति के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है और ना ही अवैध निर्माण को हटाया गया है।
उच्च अधिकारियों के आदेश की होती है अवहेलना
अंबिकापुर नगर निगम द्वारा ऐसा पहली बार नहीं किया जा रहा बल्कि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका हैं जहां आदेश तो जारी कर दिए जाते हैं लेकिन आदेश को पूरा नहीं किया जाता और मामला धीरे-धीरे दब जाता है। ऐसे बड़े मामलों में उच्च अधिकारियों के आदेश कई लोगों के जेब भरने का जरिया बन जाता है कई लोग इन आदेशों को लेकर अपनी रोटी सेक लेते हैं लेकिन शिकायतकर्ता के पक्ष में आदेश होने के बावजूद उनको न्याय नही मिल पाता है।