उपमुख्यमंत्री पद कॉंग्रेस का मास्टरस्ट्रोक या बाबा के साथ जोक – संतोष दास सरल

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : हिंद छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को कॉंग्रेस आलाकमान द्वारा उपमुख्यमंत्री घोषित किए जाने के साथ ही छत्तीसगढ़ की राजनीति एकदम से गरमा गई है। एक ओर जहाँ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल टी एस बाबा के साथ सोशल मीडिया में फोटो पोस्ट कर “हम साथ साथ हैं” लिख रहे हैं तथा जय वीरू की पुरानी दोस्ती का जिक्र कर बाबा को बधाई देते हुए अविश्वसनीय एकता का संदेश दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर टी एस बाबा बधाई तो स्वीकार कर रहे हैं पर प्रेस मीडिया व अपने समर्थकों को सामने इसे केवल एक पदनाम कहकर बड़ी चतुराई से “मैं मंत्री ही हूँ” बताना नहीं भूल रहे हैं। छत्तीसगढ़ की पिछले साढ़े चार साल की राजनीति का सबसे धमाकेदार चैप्टर यदि कोई है तो यही उपमुख्यमंत्री वाला निर्णय है जिसे कॉंग्रेस आलाकमान ने चुनाव के ठीक चार महीने पहले सामने लाकर न केवल विपक्ष को आश्चर्यचकित कर दिया बल्कि खुद कॉंग्रेस के लोगों को भी नींद से चौंका दिया। इस निर्णय के पीछे छत्तीसगढ़ कॉंग्रेस की नई प्रभारी कुमारी शैलजा की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी एस बाबा को एक टेबल पर लाकर इस निर्णय के लिए मनाने के संकेत उन्होंने कॉंग्रेस की सरगुजा संभागीय सम्मेलन में ही दे दिए थे। छत्तीसगढ़ प्रभारी को शायद आगामी विधानसभा चुनाव में कॉंग्रेस को होने वाले नुकसान का अंदाजा हो गया था। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे टी एस सिंह देव की नाराजगी को इससे पहले न तो पूर्व प्रभारी पी एल पुनिया ने गंभीरता से लिया न ही वी के हरिप्रसाद ने। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी स्वास्थ्य मंत्री टी एस बाबा को हँसी खेल ही बना रखा था, कभी स्वास्थ्य मंत्री के बिना ही प्रदेश की स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठकें हो जाती थी तो कभी शासकीय आयोजनों में प्रोटोकोल से बाबा का नाम ही गायब कर दिया जाता था। मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना में चलने वाली बसों में तो बड़े से मुख्यमंत्री की फोटो के सामने स्वास्थ्य मंत्री की अलग से छोटी सी फ्लेक्स लगा दी जाती है। अपमान का दौर तब भी जारी था जब ढाई साल बाद टी एस बाबा बार बार दिल्ली जाकर कॉंग्रेस हाईकमान के सामने अपनी बात रखने के लिए चक्कर काटते रहते पर तब भी कॉंग्रेस आलाकमान उनकी सुनने को तैयार नहीं था। प्रेस मीडिया के सामने भी बाबा अक्सर कहा करते “अभी बात हो रही है” बाबा समर्थक रोज कयास लगाते “इस महीने फाइनल है बाबा सीएम बनेंगे”, कभी कभी तो तारीखें भी बिल्कुल तय हो जाया करतीं। भूपेश बघेल सरकार का तीसरा और चौथा साल केवल इसी ऊहापोह में निकला कि बाबा कब सीएम बनेंगे? बाबा ने इस दौरान पूरी ताकत लगा दी परंतु वो सीएम नहीं बन पाये, यहां तक कि उन्होंने भूपेश सरकार पर दोष मढ़ कर पंचायत विभाग से इस्तीफा भी दे दिया परंतु न तो सीएम भूपेश बघेल पर इसका असर पड़ा और न ही कॉंग्रेस आलाकमान पर, उल्टे उन्हें अपमानित करने का सिलसिला और तेजी से चल पड़ा। सरगुजा में नवीन कॉंग्रेस कार्यालय का दो बार उद्घाटन विवाद एक बार बाबा द्वारा तथा दूसरी बार मुख्यमंत्री के बेहद करीबी मंत्री अमरजीत भगत द्वारा उद्घाटन। यही नहीं शासकीय कार्यक्रमों में बाबा का प्रोटोकोल नीचे रहने लगा, बाबा समर्थकों को भी शासकीय आयोजन के दौरान अपमानित किया जाने लगा। स्वास्थ्य मंत्री टी एस बाबा भी जनता के बीच सार्वजनिक रुप से ये कहने पर मजबूर हुए कि “मेरी नहीं चल रही है”। हड़ताली कर्मचारियों को फोन पर दिया गया उनका हालिया आश्वासन और अपनी मजबूरी बताने वाला उनका ऑडियो तो खूब वायरल भी हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सरगुजा में अपने करीबी मंत्री अमरजीत भगत को बाबा से ऊपर तरजीह देना तथा शासन प्रशासन में मंत्री अमरजीत का ही सुना जाने जैसे षडयंत्रों से बाबा समर्थक भी उनका साथ छोड़ अमरजीत खेमे में जाने लगे थे। अगर कहा जाए कि बाबा समर्थक अपनी सरकार होकर भी बिल्कुल निराश व हताश हो चुके थे तो गलत नहीं होगा। ख़बरें तो यह भी थीं कि बाबा बीजेपी जॉइन कर सकते हैं, अपुष्ट ख़बरों कि मानें तो बाबा के भतीजे आदितेश्वर शरण सिंहदेव दिल्ली में बीजेपी हेड क्वार्टर भी हो आए थे। जब मीडिया ने बाबा से इन ख़बरों के बारें में पूछा तो बाबा ने सीधे जवाब न देकर “आग लगती है तभी धुआं उठता है” जैसी बातें कहकर सस्पेंस बनाए रखा तथा कॉंग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ माइंड गेम खेलते रहे। हालांकि कॉंग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा की उपस्थिति में अंबिकापुर में हुए हालिया कॉंग्रेस के संभागीय सम्मेलन में उन्होंने “कॉंग्रेस छोड़ कर कभी नहीं जाऊँगा” जैसी बातें भी कही। कुमारी शैलजा का छत्तीसगढ़ प्रभारी बनकर आना टी एस बाबा और उनके समर्थकों के लिए शुभ ही साबित हुआ, बाबा समर्थक बाबा के उपमुख्यमंत्री की घोषणा के बाद से जश्न में डूबे हैं परंतु एक वर्ग ऐसा भी है जो ये कह रहा है कि बाबा को उप मुख्यमंत्री का पद लेकर समझौता नहीं करना था, ये तो बाबा का अपमान हो गया। अब बाबा का कॉंग्रेस आलाकमान के साथ किस बात पर समझौता हुआ ये तो वही बतायेंगे पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव लगातार इसे बाबा का घोर अपमान बताकर उनके स्वाभिमान को चुनौती दे रहे हैं। आने वाले चुनाव में टी एस सिंह देव के खिलाफ़ बीजेपी से उम्मीदवार कौन होगा ये तो भविष्य के गर्भ में है, परंतु अंबिकापुर की जनता के सामने वोट मांगने इस बार बाबा फिर से भावी मुख्यमंत्री के रूप में आयेंगे या फिर उपमुख्यमंत्री के रूप में ये देखना दिलचस्प होगा।
बहरहाल, उप मुख्यमंत्री पद कॉंग्रेस का मास्टरस्ट्रोक साबित होगा या बाबा के साथ जोक ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

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