रीपा में हुआ जमकर भ्रष्टाचार 50 % कार्य नही 100% का भुगतान…ग्रामीणों के विरोध के बाद जनपद सीईओ के खिलाफ बैठी जांच…

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हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर : प्रेमनगर जनपद पंचायत इन दिनों फिर से सुर्खियों में है। यहां पदस्थ जनपद सीईओ और मनरेगा कार्यक्रम आधिकारी पर स्थानीय ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों ने जिला पंचायत सहित अन्य पंचायत विभाग के अपर सचिव से लिखित शिकायत देकर कार्यवाही की मांग भी की है। जिस पर प्रशासन ने जांच टीम का गठन कर 5 दिवस के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि प्रेमनगर विकास खण्ड के एक युवक ने जिला पंचायत को लिखित शिकायत देकर आरोप लगाया है कि विकास खंड प्रेमनगर के ग्राम पंचायत वृन्दावन के गौठान को विकासखंड और जिला स्तर की टीम द्वारा रिपा महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क बनाये जाने हेतु चयनित किया था। ग्राम को शासन से 52 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई थी, शासन की ओर से राशी जनपद पंचायत प्रेमनगर को जारी किया गया था। साथ ही निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया है लेकिन प्रेमनगर जनपद पंचायत के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी निलेश सोनी द्वारा ग्राम पंचायत से बाहर के व्यक्ति से कमीशन लेकर कार्य दे दिया गया था, जिसका विरोध ग्राम पंचायत द्वारा किया गया था। जनपद द्वारा प्रथम किश्त 40 प्रतिशत अग्रिम राशी ग्राम पंचायत को दिया गया था और सरपंच सचिव पर दबाव बना कर चेक के माध्यम से भुगतान सीईओ निलेश सोनी के चेहेते ठेकेदार को करा दिया गया था। इस दौरान प्रेमनगर जनपद सीईओ निलेश सोनी द्वारा पंचायत के सचिव पर निलम्बन, सर्विस बुक खराब करने सहित अन्य तरह के दबाव बनाकर पन्द्रह लाख – रूपये का एक चेक सम्बन्धित ठेकेदार के नाम से कटवा दिया गया जबकि ठेकेदार द्वारा कार्य पूरा नही करवाया गया। इसके बावजूद चेक जनपद से ग्राम पंचायत के खाता में ट्रांसफर किया गया। 15 लाख का चेक को सम्बंधित ठेकेदार ने बाउंस होना बताया था जिस पर पंचायत के सचिव, सरपंच ने बाउंस चेक वापस करने की मांग की जिस पर प्रभारी सीईओ ने सरपंच सचिव से कहा कि चेक सप्ताह भर बाद डाक से प्राप्त होगा, बैंक से राशि एफटीपी करा दीजिये। जनपद सीईओ के दबाव में आकर सचिव ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया प्रेमनगर के बैंक से 15 लाख की राशि अपने बैंक खाता में ट्रांसफ़र करा लिया गया है। कुल 52 लाख का भुगतान कर दिया गया है जबकि कार्य 50% भी पूर्ण नही हो पाया हैं जबकि भुगतान 100% हो चुका है।
इस कार्य में जनपद सीईओ तथा मनरेगा पीईओ की भूमिका संदिग्ध है। इस दोनो अफसरो के लापरवाही व भ्रष्टाचार निति के कारण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट धरातल में दम तोड़ रहा है।

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