हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : अम्बिकापुर के नायब तहसीलदार संजीत पाण्डेय की कार्यशैली काफी धीमी और प्रश्नचिन्ह खड़े करने वाली है…और इनका लगाव भू माफियाओं के प्रति अधिक होने के कारण यह अपने कर्तव्यों से भी पीछे हटने में तनिक भी देर नहीं लगाते हैं। अगर बात करें इनकी याददाश्त की तो वो भी इतनी कमजोर हैं कि वो अपनी कही बातों से भी मुकरने में थोड़ा भी नही हिचकते हैं। अम्बिकापुर क्षेत्र में भू माफिया इनकी दया से काफी अच्छे तरीके से फल फूल रहे हैं क्युकी अगर इन भू माफियाओं के खिलाफ शिकायत होती भी हैं तो ये जांच अधिकारी बन कर जांच हो रही हैं की बात कहते हुए उसे लंबे समय तक टालने का हुनर रखते हैं। अब यह तो सोचने वाली बात है की जब सब कुछ सामने से दिख रहा होता है स्पष्ट होता है जिसमें किसी प्रकार का कोई असमंजस से नहीं होता है उस मामले में भी इन्हें जांच करने में इतना अधिक समय क्यों लगता है?? क्या ऐसा कारण है कि जिस मामले में भी जांच अधिकारी होते हैं वह जांच लंबे समय तक लटकी रह जाती है और अंत तक ना तो जांच रिपोर्ट आती है और ना ही दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही होती हैं।
170 ख के तहत प्रकरण दर्ज होने के बावजूद कोरवा की जमीन पर घर बनाकर रहने लगे भू माफिया
नायब तहसीलदार संजीत पांडेय के क्षेत्र में आने वाले कांतिप्रकाशपुर में 170ख के तहत प्रकरण दर्ज होने के बावजूद सुग्गी कोरवा की जमीन पर भू माफियाओं द्वारा अवैध निर्माण कर लिया गया। अवैध निर्माण की शिकायत बार-बार पीड़ित पक्ष द्वारा किए जाने के बावजूद संजीत पांडे के कान में जूं तक नहीं रेंगी और उन्होंने कोई कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा। शायद इनके द्वारा भू माफियाओं को समर्थन दिया जा रहा हैं इसीलिए इन भू माफिया के हौसले इतने बुलंद है कि कोरवा की जमीन पर घर बनाकर उसमें रहना भी शुरू कर चुके हैं…. मामला सिर्फ सुग्गी कोरवा की जमीन तक सीमित नहीं है उसके आसपास राजस्व के अंतर्गत आने वाले एक पहाड़ की भी है जिसे भूमाफिया द्वारा दिन प्रतिदिन खोदकर मुरम निकाला जा रहा हैं और अवैध निर्माण कर मकानों का निर्माण कर दूसरे प्रदेश से लाकर लोगों को इन घरों में बसाया जा रहा है।
पटवारी कार्यालय में चली शराब पार्टी ढाई महीने बाद भी जांच अधूरा
उल्लेखनीय है कि विगत 6 मार्च को पटवारी कार्यालय सह आवास केंद्र फुंदुरडिहारी में कुछ पटवारियों और आरआई द्वारा शराब पार्टी की गई लेकिन शिकायत के बावजूद नायब तहसीलदार महोदय द्वारा इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास करते हुए ढाई महीने में भी जांच रिपोर्ट पेश नहीं किया गया है। कारण सिर्फ यह है कि मामला उनके विभाग का था और वह किसी भी तरह से इस मामले को दबाना चाहते थे। यही कारण है कि उन्होंने आज तक जांच रिपोर्ट पेश नहीं की और अपने चहेते पटवारियों और आरआई महोदय को बचाने की हर संभव कोशिश करते रहे।
जांच कैसे करनी है अगर यही नहीं पता तो क्यों बन बैठे जांच अधिकारी??
पटवारी कार्यालय में शराब पार्टी की शिकायत के बाद व्यस्तता की बात कहते हुए नायब तहसीलदार संजीत पांडेय शिकायतकर्ता को घुमाते रहे और जब इससे बात नहीं बनी तो उन्होंने शिकायतकर्ता पर ही बयान दर्ज ना करवाने का आरोप लगा दिया जब शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज करवाए गए अपने बयान की फोटो उन्हें भेजी तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली और नया बहाना बनाते हुए उन्होंने पटवारियों और आरआई का बयान पृथक पृथक रूप से न लिए जाने की बात कहते हुए टालमटोल करने लगे। अगर उन्हें पता था की पटवारियों और आर आई जिनके खिलाफ शिकायत की गई है उन सभी का पृथक पृथक बयान लेना है तो फिर उन्होंने सामूहिक रूप से उनका बयान क्यों लिया???
कलेक्टर सरगुजा द्वारा दिए गए थे जांच के आदेश बावजूद इसके कर रहे हैं अपनी मनमानी
पटवारी मामले में कलेक्टर सरगुजा द्वारा जांच के दिए गए थे आदेश लेकिन बावजूद इसके नायब तहसीलदार अपने आपको सर्वोपरि समझते हुए इस मामले में अपनी मनमानी कर रहे हैं। कलेक्टर के आदेश की अवहेलना करते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं।
पीड़ित कोरवा का कहना न्याय मिलने की नही बची मन में कोई उम्मीद
बार-बार शिकायत के बावजूद मीडिया के दखल के बावजूद जब संजीत पांडे इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं तो पीड़ित पक्ष का कहना है कि अब मन में न्याय मिलने की उम्मीद खत्म होती जा रही है और नहीं लगता की संजीत पांडे के रहते मुझे मिल पाएगा न्याय…