जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल, शासकीय अस्पतालों में नहीं मिल रही सुविधाएं…

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हिंद स्वराष्ट्र एमसीबी किशन देव शाह : केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक आयुष्मान भारत योजना संबधित अधिकारियों की लापरवाही की वजह से एमसीबी जिले में दम तोड़ रही है. इस योजना को शुरू हुए कई वर्ष बीत गए हैं, लेकिन अभी भी छत्तीसगढ़ के इस नये जिले में ग्रामीण जनता को आयुष्मान भारत का लाभ नहीं मिल पा रहा है.आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से कई निर्धन परिवारों में बीमार पड़े मरीजों की इलाज के अभाव में मौत हो जा रही है. केंद्र सरकार की इस योजना के तहत गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को आयुष्मान कार्ड के तहत 5 लाख रुपये तक नि शुल्क इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन जिले में आयुष्मान भारत का लाभ जरूरतमंद लोगों को नहीं मिल पा रहा है. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं.
इन परिवारों को मिलना है आयुष्मान कार्ड का लाभ-
दरअसल गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों को इलाज कराने में किसी प्रकार की परेशानी न हो और आर्थिक परेशानी से जूझना ना पड़े इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा आयुष्मान भारत कार्ड बनाने की योजना 2018 में शुरू की गई है. परिवार की पात्रता के आधार पर क्रियाशील अंत्योदय कार्ड ,प्राथमिक राशन कार्डधारी परिवारों और सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011 से चयनित परिवारों को 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए इस कार्ड से सालाना सुविधा मिलती है. लेकिन यह योजना इस क्षेत्र में दम तोड़ती नजर आ रही है. स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर इस जिले में सिर्फ रेफर करने के अलावा कुछ भी नहीं हो पा रहा है. कहने को तो जिले में जननी सुरक्षा योजना संचालित है लेकिन इसका लाभ जरूरतमंद परिवारों को नहीं मिल पा रहा है.दरअसल जिले के किसी भी अस्पताल में एक भी निश्चेतना विशेषज्ञ डॉक्टर ना होने के कारण जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं की क्रिटिकल स्थिति को देखने के बाद डॉक्टर महिला मरीज को जिला अस्पताल के लिए रिफर कर देते हैं.लेकिन इस जिले का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि दोनों जिला मिला करके भी एक भी बेहोशी वाला विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है.ऐसी स्थिति में प्रसव के लिए अस्पताल में आने वाले महिलाओं और उनके परिजनों को परेशान होते देखा जा सकता है. जिले के अस्पतालों में सिर्फ सामान्य प्रसव की सुविधा उपलब्ध है. थोड़ा डिफिकल्ट केस होने पर डॉक्टर,मेडिकल स्टाफ सीधे हाथ खड़ा कर देते हैं. सुविधा और साधन संपन्न लोग निजी अस्पताल में चले जाते हैं लेकिन इस जिले में बहुतायत में ऐसे लोग निवास करते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती कि वह सीजर ऑपरेशन में होने वाले खर्च को उठा सकें. अगर किसी तरह वे निजी अस्पताल चले भी गए तो उन्हें अपना घर, जमीन, जायदाद अथवा जेवरात बेचकर उपचार कराना पड़ता है. कुछ मरीजों ने बताया कि उन्होंने अस्पताल में जब इस बारे में बात की क्या उनके अस्पताल में आयुष्मान कार्ड चलता है तो डॉक्टर द्वारा साफ कहा जाता है कि पहले की रकम सरकार द्वारा उनके अस्पताल में नहीं दी गई है जिसके चलते अब वे सरकार की योजनाओं से कोई भी इलाज नहीं करते.ऐसे हालात में आम लोगों की परेशानी को आसानी से समझा जा सकता है. इस सम्बन्ध में भाजपा के पूर्व महामंत्री रामचरित द्विवेदी ने कहा है कि कोरिया व एमसीबी जिले में स्वास्थ्य सुविधायें पूरी तरह चौपट हैं. सरकारी अस्पतालों में सीजर ऑपरेशन हो नहीं रहे हैं, जिसके चलते गरीब परिवार के लोगों को काफी दिक्कत उठानी पड़ रही है. एक और प्रदेश सरकार जननी सुरक्षा योजना की बात कहती है, दूसरी ओर गरीब परिवारों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. निजी अस्पतालों में सीजर ऑपरेशन के लिए लगभग ₹50000 लगते हैं, ऐसी स्थिति में गरीब परिवार के लोग इतनी बड़ी राशि कहां से व्यवस्था कर पाएंगे आसानी से समझा जा सकता है. पैसे के अभाव में गरीब परिवार के लोगों को अपनी जमीन जायदाद गिरवी रखकर अथवा जेवरात बेचकर उपचार कराना पड़ रहा है. वही स्वास्थय सुविधाए न मिलने के कारण जिलों के मरीजों को बिलासपुर अथवा रायपुर ले आने के पहले ही वे रास्ते में दम तोड़ देते हैं. दोनों जिले में एकमात्र एनएसथीसिया विशेषज्ञ हैं लेकिन उनका भी लगभग 15लाख रुपए का भुगतान सरकार द्वारा नहीं दिया जा रहा है. इससे समझा जा सकता है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधा को लेकर कितनी बेपरवाह है.

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