हिंद स्वराष्ट्र : यूरिक एसिड बॉडी में बनने वाले अपशिष्ट उत्पाद हैं जो भोजन के अवशोषण से उत्पन्न होते हैं। यूरिक एसिड को किडनी आसानी से फिल्टर करके यूरीन के जरिए बॉडी से बाहर निकाल देती है। अगर हमारा शरीर यूरिक एसिड को बाहर निकालने में असफल रहता है तो यह जोड़ों में ठोस क्रिस्टल बनाने लगता है। जोड़ों में क्रिस्टल के जमा होने की स्थिति को गाउट कहा जाता है।
प्यूरीन डाइट जैसे एल्कोहल का अधिक सेवन,मोटापा,हाइपोथॉयराइड,सिरोसिस,जेनेटिक कारण और कुछ खास दवाईयों का सेवन करने से बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है। डाइट में लीवर,मशरुम,शराब का सेवन,मटर और ड्राई बींस का अधिक सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है। यूरिक एसिड बढ़ने से हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द और सूजन की परेशानी बढ़ने लगती है। बॉडी में यूरिक एसिड का स्तर हाई होने से हाथ-पैरों की उंगलियों में चुभन वाला दर्द होता है। जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो डाइट में खास तरह के साग का सेवन करें। गर्मी में पाया जाने वाला पट्टशाक यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में असरदार साबित होता है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक पट्टशाक को बड़ी जूट के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दी में इस साग को पटुआ, पटवा, पाट, पटुए का शाक और कोष्ट के रूप में जाना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस साग का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं का उपचार किया जा सकता है। पेट के अल्सर से परेशान लोग जिन्हें खाना खाते ही दर्द होता है वो इन पत्तों का काढ़ा बनाकर उसका सेवन कर सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि पटुआ साग कैसे यूरिक एसिड को कंट्रोल करता है।
पटुआ साग कैसे यूरिक एसिड को कंट्रोल करता है :
जिन लोगों का यूरिक एसिड हाई रहता है वो गर्मी में मिलने वाले इस साग का सेवन करें। ये साग आपके प्रोटीन मेटाबोलिज्म को बूस्ट करता है और प्यूरिन पचाने में मदद करता है। गर्मी में इसका सेवन करने से जोड़ों में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा नहीं होते और जोड़ों के दर्द से भी निजात मिलती है। आयरन और फाइबर से भरपूर ये साग पाचन को दुरुस्त रखता है और सूजन को कम करता है। आप इसका सेवन उबाल कर या फिर इसकी सब्जी बनाकर कर सकते हैं।
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