हिंद स्वराष्ट्र नई दिल्ली : 2018 के बाद से सभी चुनावों में वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) को ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) से संलग्न कर दिया गया। इसकी वजह से मतदाता को पता चल जाता है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार के खाते में गया है जिसके चुनाव चिन्ह पर उसने बटन दबाया. वीवीपैट मशीन के स्क्रीन पर कुछ क्षणों के लिए पेपर प्रिंट आउट पर प्रत्याशी का नाम दिखाई देता है फिर यह पेपर ट्रेल ड्राप बाक्स में चली जाती है।
इस तरह यह पेपर ट्रेल मतदान की प्रामाणिकता का सबूत है।चुनाव आयोग के ध्यान में आया कि इस समय देश भर में लगभग 37 प्रतिशत वीवीपैट मशीनें खराब हैं। अगले वर्ष समूचे देश में आम चुनाव होनेवाला है. इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने समय रहते 9 लाख नई वीवीपैट मशीने बनवाने, 6 लाख मशीनों को अपग्रेड करने और 3 लाख मशीनों को कबाड़ में डालने का उचित फैसला कर लिया. मतदाताओं का विश्वास सर्वोपरी है और यह भरोसा पेपर ट्रेल से ही मिल सकता है। यदि कभी ईवीएम से हुए चुनाव नतीजे को चुनौती दी जाए तो ऐसी स्थिति में पेपर ऑडिट ट्रेल से इसका फैसला हो जाता है।यह एक बड़ा सबूत है. आबादी की दृष्टि से भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. चुनाव को विश्वसनीय बनाने में वीवीपैट का बड़ा योगदान है। इससे ईवीएम को लेकर उठनेवाली शंकाओं का निराकरण हो जाता है। चुनाव आयोग ने गत 27 जनवरी को ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव अधिकारियों को सूचित कर दिया था कि 3.4 लाख वीवीपैट मशीनों के लिए भेजा जाना है।
डिफेक्टिव मशीनों को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में चिन्हांकित किया जाएगा. हर चुनाव के बाद तकनीकी विशेषज्ञ समिति ईवीएम और वीवीपैट की जांच करती है ताकि इनमें कोई दोष न रह जाए. सार्वजनिक क्षेत्र की 2 कंपनियां वीईएल व ईसीआईएल मशीनों का एहतियाती रखरखाव करती हैं। इसमें सर्विसिंग और अपग्रेड करना शामिल है।