7 लाख की राहत, लेकिन नहीं मिलेगी लाखों की टैक्स छूट, सोच-समझकर चुनें नई कर व्यवस्था, जानिए नफा-नुकसान…

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हिंद स्वराष्ट्र नई दिल्ली : अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत हो चुकी है और अब सभी टैक्सपेयर्स के सामने चुनौती है कि वे इस वित्तीय वर्ष के लिए किस टैक्स रिजीम का चुनाव करें. यह टैक्स प्लानिंग से जुड़ा अहम हिस्सा है. नई और पुरानी टैक्स व्यवस्था के अपने-अपने फायदे हैं. जहां, न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है लेकिन ओल्ड टैक्स रिजीम की तरह इसमें लाखों की टैक्‍स छूट नहीं मिलेगी. आइये जानते हैं अगर आप नई कर व्यवस्था को चुनते हैं तो आपको कौन-से 7 बड़े टैक्स डिडक्शन नहीं मिलेंगे।कर सलाहकारों के अनुसार, नई और पुरानी कर व्यवस्था को चुनने के बीच का चुनाव विशेष रूप से प्रत्येक व्यक्ति की सैलरी और उसके निवेश व कटौती के लिए पात्र अन्य प्रतिबद्धताओं पर निर्भर करता है. इसलिए उनकी कर व्यवस्था की पसंद अलग-अलग हो।अगर आप नई कर व्यवस्था को चुनते हैं तो पीपीएफ, एनएससी, यूलिप, एलआईसी, वरिष्ठ नागरिक योजना आदि में धारा 80 सी निवेश और शिक्षण शुल्क का भुगतान, नए घर की खरीद पर पंजीकरण शुल्क आदि और आवास ऋण की अदायगी जैसे लाभ क्लेम नहीं कर पाएंगे।सेक्शन 80डी में हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान: कोई व्यक्ति स्वयं, पति या पत्नी और आश्रित बच्चों के बीमा के लिए रु. 25,000 तक की कटौती का दावा कर सकता है. 60 वर्ष से कम आयु के माता-पिता के लिए 25,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती की अनुमति है. यह बेनेफिट भी न्यू टैक्स रिजीम में नहीं मिलेगा।सेक्शन 80ई एजुकेशन लोन पर ब्याज : आयकर अधिनियम की इस धारा में करदाता एजुकेशन लोन के ब्याज भुगतान के लिए क्लेम कर सकता है।
सेक्शन 80टीटीए और 80टीटीबी बचत बैंक खाते और सावधि जमा पर मिलने वाला ब्याज: धारा 80टीटीए के तहत, कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक, डाकघर, या सहकारी समिति के बचत खाते के ब्याज पर अधिकतम 10,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकता है. धारा 80टीटीबी के तहत, वरिष्ठ नागरिक किसी भी बैंक, डाकघर, या सहकारी समिति के साथ बचत खाता ब्याज और सावधि जमा पर ब्याज के लिए अधिकतम 50,000 की कटौती का दावा कर सकते हैं।सेक्शन 10(5) एलटीए: लीव ट्रैवल अलाउंस को लेकर सेक्शन 10 के क्लॉज (5) में छूट दी गई है. एचआरए की तरह सैलरी के एक हिस्से के रूप में कर्मचारियों को एलटीए भी मिलता है. हालांकि, कंपनी सिर्फ कुछ विशेष श्रेणी के कर्मचारियों को ही यह सुविधा देती है।सेक्शन 10(13ए) एचआरए ,एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस है, जो हर कर्मचारी के सैलरी स्लिप का एक प्रमुख टैक्सेबल कंपोनेंट होता है. यह कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है जिससे वो किराए पर रहने के खर्च को पूरा कर सकें. आयकर अधिनियम की धारा 10(13ए) एचआरए की कटौती की अनुमति
सेक्शन 24बी स्वयं के कब्जे वाली गृह संपत्ति पर ब्याज: होम लोन पर ब्याज को दो कैटेगरीज में बांटा जाता है-निर्माण पूरा होने के पहले का ब्याज और उसके बाद की अवधि के बाद का इंटरेस्ट. निर्माण पूरा होने के बाद की अवधि में भुगतान किए गए ब्याज के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 24बी के तहत 2 लाख रुपए तक का टैक्स डिडक्शन मिलता है।

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