लाइसेंस लेकर नकली दवाओं का नेटवर्क कर रहा विदेशों में भारत की छवि को धूमिल…

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हिंद स्वराष्ट्र : उज्बेकिस्तान, गाम्बिया, अमेरिका समेत कई देशों के आरोप लगाने के बाद भारत सरकार जागी है. कई देशों में भारतीय दवाओं और खास तौर पर कफ सिरप से बच्चों के बीमार होने व मौत की बात सामने आई. इससे पूरे विश्व में भारतीय दवा उद्योग का नाम खराब हुआ। गंभीर आरोप लगने के बाद केंद्र सरकार की एजेंसियों की नींद खुली है और देशभर में नकली दवा बनाने वालों पर कार्रवाई शुरू की गई. सरकार के आदेश पर देशभर के विभिन्न राज्यों में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने 203 दवा कंपनियों की पहचान कर 76 की जांच की गई है।
18 कंपनियों को दोषी पाया गया और लाइसेंस रद्द किए गए. 3 कंपनियों का प्रोडक्ट लाइसेंस रद्द किया गया है और 26 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। केंद्र ने नकली दवाएं बनाने के आरोप में हिमाचल प्रदेश की 70, उत्तराखंड की 45 और मध्य प्रदेश की 23 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की।सवाल यही उठता है कि लाइसेंस लेने वाली कंपनियां आखिर कैसे जान से खिलवाड़ करने वाली नकली दवाओं का निर्माण धड़ल्ले से कर रही हैं।
सिर्फ निर्माण ही नहीं कर रही हैं, बल्कि कई देशों तक दवाओं को सरलता और सहजता से पहुंचा भी रही हैं। जब तक आरोप नहीं लगे थे, तब तक सब कुछ ठीक था, लेकिन अब सवाल उठने लगे हैं और यह पूछा जाने लगा है कि आखिर नकली दवाओं का तंत्र इतना मजबूत कैसे हो गया कि देश-विदेश में इसकी सीधी बेरोकटोक पहुंच बन गई? जाहिर है केंद्रीय एजेंसियां कुंभकर्णी नींद में थीं और लोगों की जान हलक में डाले हुए थीं. कदम उठाना सही बात है, जांच गंभीरता से भी होनी चाहिए. जहां कहीं भी त्रुटियां मिलें, उनके लाइसेंस रद्द होने चाहिए।
केवल कंपनियों का लाइसेंस रद्द करने से कुछ भी होने वाला नहीं है, जान को जोखिम में डालने के जिम्मेदार वो अधिकारी और विभाग भी हैं, जिन्होंने लाइसेंस देकर अपनी जिम्मेदारी झाड़ ली है. ऐसे लोगों को भी कटघरे में खड़ा करने की जरूरत है. इन अधिकारियों पर सरकार ने टैक्स से वसूले गए पैसे वेतन के रूप में लुटाए हैं, इसलिए मोटा वेतन लेकर देश और विभाग पर कलंक लगाने वाले अधिकारियों की भी निष्पक्ष व सख्ती से जांच हो, तभी इस रैकेट को तोड़ा जा सकेगा, अन्यथा एक अभियान चलेगा, कुछ कंपनियों का दम घुटेगा और फिर कुछ वर्षों बाद वही सिलसिला जारी हो जाएगा।
आज के दौर में लाइसेंस लेना कोई बड़ी बात नहीं है, लाइसेंस के अनुरूप काम हो रहा है या नहीं, इन पर निगरानी रखना और लोगों की जान से खिलवाड़ न हो, इसका ख्याल रखना बड़ी बात है। भारतीय दवाओं पर भरोसा कायम रहे, यह केंद्र की जिम्मेदारी है।उम्मीद की जा सकती है कि केंद्र सरकार भविष्य में देश के ऊपर दाग नहीं लगने देगी और लाइसेंस प्रथा को केवल प्रथा के रूप में न रख, जिम्मेदारी का एहसास भी कराएगी।

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