हिंद स्वराष्ट्र रायपुर : छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल में यूपी-बिहार, झारखंड, तामिलनाडू और राजस्थान के कॉलेजों के फर्जी सर्टिफिकेट जमा कर फार्मासिस्ट की डिग्री लेने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हो गया है। पुलिस ने राजनांदगांव, जांजगीर-चांपा, दुर्ग, भिलाई, बलौदाबाजार और महासमुंद के अलग-अलग ठिकानों में छापे मारकर 9 जालसाज फार्मासिस्टों को गिरफ्तार किया है। 19 जालसाजों की तलाश में एक दर्जन जिलों में छापेमारी चल रही है। पुलिस को डिग्री फर्जीवाड़े में संगठित रैकेट का हाथ होने का शक है।
उनका नेटवर्क पूरे राज्य में फैला है। केवल 2 से तीन लाख में ये रैकेट राज्यभर के बेरोजगारों का फर्जी सर्टिफिकेट से काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा रहा था। पुलिस अफसरों के अनुसार अभी 19 जालसाज फार्मासिस्टों की तलाश की जा रही है। उनकी खोजबीन में जुटी टीम उनके परिजनों और करीबियों को जांच के घेरे में रखा है। अफसरों के अनुसार करीब 270 फार्मासिस्टों की फर्जी डिग्री होने के दस्तावेज मिले हैं।
उनका परीक्षण किया जा रहा है। पुलिस ने फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया का परीक्षण शुरू किया है। ये पता लगाया जा रहा है कि आखिर उनका रजिस्ट्रेशन कैसे हो गया? इसके पीछे ही बड़ा रैकेट का हाथ होने के संकेत हैं, जिनका लिंक पूरे प्रदेश में है।
राजनांदगांव का मेडिकल घेरे में : राजनांदगांव स्थित विजय मेडिकल स्टोर्स ने एक साथ सौ से ज्यादा लोगों को इंटर्नशिप का प्रमाणपत्र जारी किया है। राजनांदगांव के मेडिकल स्टोर ने जिन लोगों को प्रमाण पत्र दिया है, उन्होंने तामिलनाडु के कोयंबटूर फार्मेसी कॉलेज से पढ़ाई की है। ऐसे प्रकरण भी है कि इस मेडिकल स्टोर से जिस दिन ट्रेनिंग पूरी करने का सर्टिफिकेट जारी किया गया था, उसी दिन उस सर्टिफिकेट को तामिलनाडू कोयंबटूर के कॉलेज के प्राचार्य ने सत्यापित किया। उसी दिन और उसी दिन काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी हो गया।
ऐसे 50 से ज्यादा का फार्मासिस्टों का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा चुका है। कांपीटिशन एग्जाम से प्रवेश : फार्मेसी कॉलेज में प्रवेश के लिए कांपीटिशन एग्जाम पास करना जरूरी है। इसके बाद भी प्राइवेट कॉलेजों में मोटी फीस देकर पेमेंट सीट में प्रवेश मिलता है। फार्मासिस्ट के लिए सरकारी और प्राइवेट नौकरी के दरवाजे खुल जाते हैं। इसके अलावा दवा दुकान खोलने का लाइसेंस भी मिलता है। इस वजह से इसकी जबरस्त डिमांड है।
फार्मेसी काउंसिल घोटाले का भंडाफोड़ पिछले साल दिसंबर में हुआ था उसी के बाद से पुलिस ने पड़ताल शुरू की थी। पुलिस ने करीब 75 दिन जांच के बाद छापेमारी की। पुलिस ने अभी तक जितने संदिग्ध फार्मासिस्टों की डिग्री की जांच की है, उनमें 28 फर्जी मिले हैं। संबंधित कॉलेजों ने लिखकर दे दिया है कि संबंधित फार्मासिस्ट ने उनके कॉलेज से पढ़ाई की ही नहीं है, फिर भी जालसाजों ने वहीं का सर्टिफिकेट जमा किया है। अभी तीन हजार से ज्यादा संदिग्ध डिग्रियों की जांच पेंडिंग है।
3 हजार डिग्रियां जांच के घेरे में
तीन हजार फार्मासिस्टों की डिग्री जांच के घेरे में है। प्रारंभिक जांच में खुलासा हो चुका है कि दूसरे राज्यों के कॉलेजों का सर्टिफिकेट जमा करने वालों का प्रमाणपत्र सही है या नहीं ये जानने वेरिफिकेशन नहीं कराया। कई ऐसे लोगों को डिग्री दे दी जिन्होंने 3 माह ट्रेनिंग का प्रमाणपत्र भी नहीं जमा किया।
छापे में गिरफ्तार
रविंद्र कुमार साहू जांजगीर चांपा, रामेश्वर साहू कसडोल बलौदाबाजार, डामेश्वर कुमार साहू राजनांदगांव, संजय कुशवाहा दुर्ग, खेमलाल धीवर खरोरा रायपुर, रमाकांत निषाद पलारी, चंद्रेश साहू बसंतपुर राजनांदगांव, सूरज अग्रवाल महासमुंद, शीतल कुमार चिखली दुर्ग।
राज खोला राज्यों से आई हुई चिटि्ठयों ने
- वायबीएन कॉलेज झारखंड- 10 ने यहां का सर्टिफिकेट जमा किया था। एक ने भी पढ़ाई नहीं की है।
- सनराइज यूनिवर्सिटी राजस्थान- 2 उम्मीदवारों ने सर्टिफिकेट जमा किया था। दोनों ने वहां पढ़ाई नहीं की है।
- सत्य सांई यूनिवर्सिटी सीहोर- 2 उम्मीदवारों के बारे में चिट्ठी भेजी गई है। दोनों ने वहां दाखिला नहीं लिया है।
- ओपीजेएस, चुरु राजस्थान- यहां से भी दो उम्मीदवारों के नाम चिट्ठी जमा हुई है। पढ़ाई नहीं की है।
- मोनाद यूनिवर्सिटी पंजाब- एक उम्मीदवार के संबंध में पत्र आया है। उसने पढाई नहीं की है।
- श्रीधर यूनिवर्सिटी पिलानी राजस्थान- 3 उम्मीदवारों ने यहां का सर्टिफिकेट दिया है, तीनों ने पढ़ाई नहीं की है।
- स्वामी विवेकानंद यूनिर्विसटी सागर- एक उम्मीदवार के बारे में चिट्ठी भेजी है। उसने पढ़ाई नहीं की।