हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : पंचायत चुनाव 2020 में सरगुजा जिले समेत संभाग के अन्य जिलों में भारी अनियमितता बरती गई हैं। जहां आदिम जाति और अनुसूचित जनजाति की सीटों पर सामान्य और ओबीसी वर्ग के लोग सरपंच बन कर बैठे हैं। आपको बता दें की सिर्फ सरगुजा जिले में ही ऐसे अनेकों सरपंच हैं जिनकी जाति आरक्षित सरपंच सीट से परे हैं लेकिन वे पिछले 3 वर्षों से सरपंच बन मलाई चाटने का काम कर रहे हैं। इस मलाईदार सीट का मजे सरपंच अकेले नहीं ले रहे हैं बल्कि जनपद सीईओ भी इस मामले में उनके सहयोगी हैं। जनपद सीईओ की इस मामले में फिलहाल क्या भागेदारी हैं इस बात की जानकारी तो ऐसे भ्रष्ट सरपंचों को होगी जो जनपद सीईओ का खुले तौर पर नाम लेते हुए कहते हैं कि “सीईओ सर को सब पता हैं।” इन सरपंचों के हौसले बुलंद होने का एक कारण यह भी हैं क्योंकि उनका कहना हैं कि “ऊपर से लेकर नीचे तक सब इसमें मिले हुए हैं मैं अकेले नहीं जाऊंगा जाएंगे तो सब जाएंगे।” अब इन सब में कौन कौन शामिल हैं यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। आपको बता दें की चुनाव के वक्त इन सभी घोटालेबाज सरपंचों द्वारा 6 माह का समय जाति प्रमाण पत्र जमा करने के लिए लिया गया था बावजूद इसके 3 वर्ष बीतने के बावजूद उनके द्वारा जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत नही किया गया हैं लेकिन मामले की सुध लेने वाला कोई नहीं हैं। अधिकारी जिन्हे मामले में मलाई खाने को मिल रहा हो और जब इस मामले को उठाने वाला कोई न हो तो अधिकारी इस मामले में ध्यान देने की जहमत क्यों उठाएंगे।
सूरजपुर जिले में जनरल कैटेगरी के लोग आदिवासी महिलाओं से शादी कर बिना प्रमाण पत्र जमा किए बन बैठे हैं सरपंच
हम आपको बता दें कि पंचायत चुनाव में किस प्रकार की धांधली हुई हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सूरजपुर के रविंद्रनगर, महावीरपुर जैसे पंचायतों के सरपंच बन सरपंच पति धौष दिखाते घूम रहे हैं जबकि वे जनरल कैटेगरी में आते हैं और वहां की आरक्षित सीटों पर उनके द्वारा उनकी पत्नियों को सरपंच बनवाया गया हैं न तो चुनाव बीतने के 3 वर्ष बीत जाने के बावजूद उनके द्वारा जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया हैं और न ही उनकी पत्नियों द्वारा पंचायत का कोई कार्य किया जाता हैं। केवल इन सरपंचों द्वारा अपनी पत्नी के नाम का इस्तेमाल किया जाता हैं और सरपंच पति सरपंच बन जाता हैं।