हिंद स्वराष्ट्र रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए नई उद्योग नीति की तर्ज पर जल्द ही ग्रामीण उद्योग नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मुख्यमंत्री सोमवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पशुपालक ग्रामीणों, गोठानों से जुड़ी महिला समूहों और गोठान समितियों को लाभांश राशि के ऑनलाइन वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रय में उन्होंने 8 करोड़ 23 लाख रुपए की राशि जारी की है।
मुख्यमंत्री निवास में आयोजित सादे समारोह में भूपेश बघेल ने कहा, गोठान से जुड़े रूरल इंडस्ट्रियल पार्क अधिकतर जगहों पर काम करने लगे हैं। अब यह पूर्णरूप से कार्य करें उसके पहले हमें ग्रामीण उद्योग नीति बनाने की दिशा में कार्य करना होगा इसके लिए संबंधित विभाग जल्द प्रक्रिया पूर्ण करें। जिससे कि जब पूर्ण रूप से रूरल इंडस्ट्रियल पार्क कार्य करना प्रारंभ करेंगे तो इनसे जुड़े हितग्राहियों को बैंक से ऋण लेना तथा अन्य व्यवसाय शुरू करने में मदद मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गर्व की बात है कि राज्य में अब तक 4 हजार 927 गोठान पूरी तरह स्वावलंबी हो चुके हैं।
अभी तक जो गोठान समूह दीया, वर्मी कम्पोस्ट इत्यादि बना रहे थे अब वे बिजली उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों बिजली उत्पादन के लिए जो एमओयू किए गए थे, उनमें बेमेतरा और बस्तर की यूनिट जमीनी स्तर पर मूर्त रूप ले चुकी है। अब इसे बनी बिजली को पावर ग्रिड से जोड़ने और इससे बनी बिजली की कीमत तय करने का काम भी जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा। इस माैके पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव डाॅ. अयाज तंबोली, राज्य ग्रामीण आजीवीका मिशन के संचालक अवनीश शरण और कृषि विभाग की संचालक रानू साहू आदि मौजूद रहे।
महिला समूहों को अब तक मिल चुके 403 करोड़
मुख्यमंत्री ने पशुपालकों सहित गोठान से जुड़े महिला समूहों को बधाई दी। उन्होंने कहा, यह बहुत अच्छी बात है कि वे लगातार रिकाॅर्ड बना रहे हैं। 8 करोड़ 23 लाख रुपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 403 करोड़ 58 लाख रुपए हो जाएगा। इसी प्रकार गोबर विक्रेताओं को 4 करोड़ 76 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद यह आंकड़ा 206 करोड़ 49 लाख रुपए हो जाएगा।
13 गोठानों में बनने लगा गोबर से पेंट
मुख्यमंत्री ने इस दौरान गोबर से पेंट बनाने वाले संयंत्रों के कामकाज की भी समीक्षा की। बताया गया कि 21 जिलों में 23 पेंट यूनिट पर काम चल रहा है। 13 ईकाई पूर्ण हो गई हैं। 17 हजार लीटर से अधिक पेंट का उत्पादन हो गया है और 22 लाख रुपए से अधिक की बिक्री भी हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा, आने वाले समय में जल्द ही स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में बड़ी मात्रा में पेंट की आवश्यकता होगी। ऐसे में हमें मांग और पूर्ति में संतुलन बनाकर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन करना होगा ताकि सही समय में आवश्यकतानुसार पेंट की पूर्ति की जा सके।