हिंद स्वराष्ट्र बस्तर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में जिस तेजी से सड़कों का विकास किया जा रहा है, उसी तेजी से मोबाइल नेटवर्क भी खड़ा किया जा रहा है। पिछले चार साल में नक्सल प्रभावित बस्तर में 500 से ज्यादा मोबाइल टावर खड़े किए गए हैं। यहां 5-जी नेटवर्क पहुंचाने की कवायद की जा रही है। भारत नेट परियोजना में केंद्र सरकार ने भी बस्तर को प्राथमिकता में रखा है। बस्तर में सड़क का नेटवर्क बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से पिछले चार साल में 35 पुलिस कैंप खोले गए।इसका असर यह हुआ कि संवेदनशील क्षेत्रों की 21 सड़कों का निर्माण पूरा हुआ। सड़क का नेटवर्क पूरा होने से दंतेवाड़ा की ओर से धुर नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के जंगलों का रास्ता खुल जाएगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सड़क के साथ मोबाइल कनेक्टिविटी भी बढ़ रही है। प्रदेश में 4जी नेटवर्क के सहारे बस्तर को देश-दुनिया से जोड़ने के लिए 500 से ज्यादा मोबाइल टावर लगाए गए हैं। छत्तीसगढ़ में 574 गांवों में कनेक्टिविटी दिया जाना शेष है, जिसे जून 2023 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है।
प्रदेश में प्राथमिकता के साथ 646 नए टावर लगाकर नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा। नेटवर्क के अभाव में प्रभावित होते हैं नक्सल आपरेशनबता दें कि नक्सल प्रभावित बस्तर में मोबाइल नेटवर्क से जुड़ी परेशानियों से वहां तैनात सुरक्षाबलों के आपरेशन भी प्रभावित होते हैं। कई बार तो नक्सलियों से मुठभेड़ होने की स्थिति में नेटवर्क के अभाव के चलते मोर्चे पर डटे जवान मदद का संदेश अपने अधिकारियों तक नहीं पहुंचा पाते। पेड़ों अथवा पहाड़ों पर चढ़कर नेटवर्क तलाशना पड़ता है। इतना ही नहीं, यहां तैनात जवान अपने स्वजन से संवाद कर उनका हालचाल भी नहीं ले पाते।
