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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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पूजन में मालती-पुष्प उत्तम हैं |
तमाल-पुष्प भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला है | मल्लिका (मोतिया) समस्त पापों का नाश करती है तथा यूथिका (जूही) विष्णुलोक प्रदान करनेवाली है |
अतिमुक्तक (मोगरा) और लोध्रपुष्प विष्णुलोक की प्राप्ति करानेवाले हैं | करवीर-कुसुमों से पूजन करनेवाला वैकुण्ठ को प्राप्त होता है तथा जपा-पुष्पों से मनुष्य पुण्य उपलब्ध करता है | पावंती, कुब्जक और तगर-पुष्पों से पूजन करनेवाला विष्णुलोक का अधिकारी होता है |
कर्णिकार (कनेर)- द्वारा पूजन करने से वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है एवं कुरुंट (पीली कटसरैया) के पुष्पों से किया हुआ पूजन पापों का नाश करनेवाला होता है | कमल, कुंद एवं केतकी के पुष्पों से परमगति की प्राप्ति होती है |
बाणपुष्प, बर्बर-पुष्प और कृष्ण तुलसी के पत्तों से पूजन करनेवाला श्रीहरि के लोक में जाता हैं | अशोक, तिलक तथा आटरुष (अडूसे) के फूलों का पूजन में उपयोग करनेसे मनुष्य मोक्ष का भागी होता है | बिल्वपत्रों एवं शमिपत्रों से परमगति सुलभ होती है | तमालदल तथा भृंगराज-कुसुमों से पूजन करनेवाला विष्णुलोक में निवास करता है | कृष्ण तुलसी, शुक्ल तुलसी, कल्हार, उत्पल, पद्म एवं कोकनद – ये पुष्प पुण्यप्रद माने गये हैं ||१-७||
भगवान श्रीहरि सौ कमलों की माला समर्पण करने से परम प्रसन्न होते है | नीप, अर्जुन, कदम्ब, सुगन्धित बकुल (मौलसिरी), किंशुक (पलाश), मुनि (अगस्त्यपुष्प), गोकर्ण, नागकर्ण (रक्त एरण्ड), संध्यापुष्पी (चमेली), बिल्बातक, रजनी एवं केतकी तथा कुष्माण्ड, ग्रामकर्कटी, कुश, कास, सरपत, विभीतक, मरुआ तथा अन्य सुंगधित पत्रोंद्वारा भक्तिपूर्वक पूजन करनेसे भगवान् श्रीहरि प्रसन्न हो जाते हैं |
इनसे पूजन करनेवाले के पाप नाश होकर उसको भोग-मोक्ष की प्राप्ति होती हैं | लक्ष स्वर्णभार से पुष्प उत्तम है, पुष्पमाला उससे भी करोड़गुनी श्रेष्ठ है, अपने तथा दूसरों के उद्यान के पुष्पों की अपेक्षा वन्य पुष्पों का तिगुना फल माना गया है।
झड़कर गिरे, अधिकांग एवं मसले हुए पुष्पों से श्रीहरि का पूजन न करे | इसीप्रकार कचनार, धत्तूर, गिरिकर्णिका (सफेद किणही), कुटज, शाल्मलि (सेमर) एवं शिरीष (सिरस) वृक्ष के पुष्पों से भी श्रीविष्णु की अर्चना न करे | इससेपूजा करने वाले का नरक आदि में पतन होता है |
विष्णु भगवान का सुगन्धित रक्तकमल तथा नीलकमल-कुसुमों से पूजन होता है | भगवान शिवका आक, मदार, धत्तूर-पुष्पों से पूजन किया जाता है;
किन्तु कुटज, कर्कटी एवं केतकी (केवड़े) के फुल शिवजी के ऊपर नहीं चढाने चाहिये | कुष्माण्ड एवं निम्ब के पुष्प तथा अन्य गंधहीन पुष्प ‘पैशाच’ माने गये हैं ||१२-१५||
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