हिंद स्वराष्ट्र रघुनाथनगर : जंगली हाथियों से प्रभावित उत्तर छत्तीसगढ़ में हाथी प्रभावित ग्रामीणों के गुस्से का शिकार अब वन कर्मचारियों को होना पड़ रहा है। हाथियों द्वारा पहुंचाए जा रहे नुकसान के आकलन में मुआवजा निर्धारण को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। ताजा मामला बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र का है। यहां कम मुआवजा निर्धारण को लेकर पिता-पुत्र ने वनरक्षक से सरेराह पिटाई कर दी। आरोपितों का कहना था कि उन्हें शत-प्रतिशत मुआवजा चाहिए जबकि उस अनुपात में फसल का नुकसान नहीं हुआ था। मामले में पुलिस ने आरोपित पिता-पुत्र के खिलाफ प्राथमिकी की है।
तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र से लगे रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में इन दिनों जंगली हाथी विचरण कर रहे हैं। हाथियों द्वारा फसलों को लगातार नुकसान पहुंचाया जा रहा है। नियमों के तहत वन विभाग की टीम क्षति का आकलन करने प्रभावित क्षेत्र में पहुंच रही है। बताया जा रहा है कि ग्राम चंवरसरई में भी हाथियों ने फसलों को खाकर तथा पैरों से कुचल नुकसान पहुंचाया था।उच्चाधिकारियों के निर्देश पर वन रक्षक सीताराम मरावी,ग्राम के अमृत गोंड एवं राहुल कुशवाहा के साथ क्षति का आंकलन करने गए थे। हाथी प्रभावित ग्रामीणों के खेतों का अवलोकन कर क्षति का आकलन किया जा रहा था,उसी अनुपात में प्रभावित परिवारों का मुआवजा राशि निर्धारित किया जाता है।जब वनरक्षक क्षति का आकलन कर लौट रहे थे तो रास्ते में रामचंद्र कुशवाहा एवं उसके पुत्र सोनू ने अपने घर के पास वनरक्षक को रोक लिया।क्षति के आकलन को लेकर चर्चा शुरू हुई तो पिता पुत्र असंतुष्ट हो गए।
उनका कहना था कि उन्हें शत-प्रतिशत क्षति के आकलन के अनुरूप मुआवजा चाहिए। विवाद इतना बढ़ा की आरोपितों ने वनरक्षक को मोटरसाइकिल से खींच कर नीचे गिरा दिया। उसके साथ मारपीट की तथा वर्दी खींचने से नेम प्लेट और बटन भी टूट गया।ग्रामीणों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और वनरक्षक वहां से चला गया उच्चाधिकारियों के निर्देश पर थाने में दर्ज कराई गई।शिकायत के आधार पर पुलिस ने पिता-पुत्र के विरुद्ध धारा 341,186 ,353,332 ,34 का अपराध पंजीबद्ध किया है।
बता दें कि इसके पहले भी सरगुजा भी सरगुजा वन वृत्त में हाथियों से होने वाले नुकसान को लेकर वन विभाग और प्रभावित ग्रामीण आमने- सामने आते रहे हैं।सड़क जाम और विरोध प्रदर्शन भी हो चुका है। हाथियों द्वारा फसल के नुकसान पर एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 22 हजार मुआवजा दिया जाता है।शत प्रतिशत नुकसान की स्थिति में यह राशि निर्धारित है। कम ही ग्रामीण होते हैं जिनके यहां शत प्रतिशत मुआवजा निर्धारित किया जाता है। वर्ष भर की मेहनत और खेती के अनुरूप मुआवजा नहीं मिलने के कारण ग्रामीण वन विभाग पर ही अपनी नाराजगी जताते हैं।