हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : जीएसटी कौंसिल की 47 वीं मीटिंग में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों की सहमति से लिए गए निर्णय पर फैलाया जा रहा भ्रम यथार्थता से बिल्कुल परे है, उपरोक्त बात अभिषेक शर्मा अधिवक्ता टैक्स एवं जिला सह कोषाध्यक्ष भाजपा सरगुजा एवं प्रदेश सह संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ छग ने कही।। उनहोने बताया किसी लोकल प्रोडेक्ट पर किसी प्रकार का कोई करारोपण नहीं किया है बल्कि ब्रांडेड और प्रिपैकड को ही परिभाषित किया गया है ताकि जो आईटम लोकल स्तर पर खरीदकर ब्रांड के रूप में पैंकिग कर बेचे जाते हैं उसी पर करारोपण लागू किया गया है जो कि अधिकतम वस्तुओं पर पुर्व से ही लागू है जैसा कांग्रेस शासन काल 2009 में लिगल मैट्रोलाजी ऐक्ट के अनुपालन में किया गया था जिससे ब्रांडेड और अनब्रांडेड के बीच के अंतर को समझा जा सके। जीएसटी परिषद ने आटा चावल दाल के लोकल खुले में बिक्री पर कोई करारोपण नहीं किया है बल्कि पुर्व से ये आईटम 25 किलो या ज्यादा के पैकिट पर ही उपलब्ध होते हैं जो कौंसिल की बैठक के बाद भी टैक्स फ्री है। भ्रम फैलाने वालों को यह समझना चाहिए कि कौंसिल में सभी राज्यों के प्रतिनिधियों का सामूहिक निर्णय ही मान्य होता है। देश ने प्रधानमंत्री मोदी जी की जन आकांक्षी नीतियों के कारण कोरोना की विभीषिका से निपटने में अपनी सक्षमता दिखाई है इसका कारण भी 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन की सुविधा उपलब्ध करवाने और मुफ्त में टीकाकरण जैसे कार्यक्रमों का सफल क्रियान्वयन भी है। इसलिए भ्रम में ना आऐ और देश के राजस्व में अपना योगदान दें ताकि देश मोदी जी के नेतृत्व में सभी परिस्थितियों से निपटने में सफल हो सके।