हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : पहाड़ी कोरवा जो एक प्राचीन जनजाति है और इनकी संख्या कम होने के कारण इन्हे विशेष पिछड़ी जनजातियों में शामिल किया गया है। सरकार इन्हें हर संभव सहायता देने के दावे करती हैं और इन्हें संरक्षित जनजाति बताती है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है की ये जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र होने के बावजूद इनका शोषण किया जा रहा हैं इनको इनकी जमीनों से बेदखल कर इनको धमकाया जा रहा हैं बावजूद इसके प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे बैठी हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों से उनकी जमीन जोर जबरदस्ती के बाहुबल के दम पर छीन ली जाती है और विरोध करने पर काट कर कुत्तों को खिला देने की धमकी भी दी जाती है। मामला अम्बिकापुर के कांतिप्रकाशपुर का है जहां निवासरत एक परिवार अपने जमीन को भू माफियाओं से बचाने के लिए दर दर भटकने को मजबूर है लेकिन उसकी फरियाद अबतक किसी ने नहीं सुनी है। गरीब किसान अपनी जमीन वापस पाने के लिए इस ऑफिस से उस ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं। भोले भाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग अब न्याय मिलने की उम्मीद भी छोड़ रहे है।
जिस जमीन में कुछ महीनो तक करते थे खेती अब वहां भू माफियाओं ने अपने प्रभुत्व के दम पर बना रहे अपना आशियाना
साक्ष्यों और आवेदक के आवेदन के आधार पर यह जमीन बझाल कोरवा निवासी कांतिप्रकाशपुर की है और वह 6 माह पूर्व तक उक्त जमीन पर वर्षों से काबिज था तथा उसका सेटलमेंट का पट्टा भी आवेदक के नाम पर ही है बाबजूद इसके एक जमील दलाल भू–माफिया द्वारा जबरन इनसे इनकी जमीन छीन ली गई हैं और विरोध करने पर जान से मारने की धमकी देकर उस जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिया हैं। जब भी आवेदक भू माफिया से अपनी जमीन लौटाने की बात करता है तो भू माफिया द्वारा उसे काटकर कुत्तों को खिला देने की धमकी भी दी जाती है जिससे डर सहमा परिवार कानून की शरण में जाता है लेकिन अबतक उसे कोई राहत नहीं मिला है।
काट कर कुत्तों को खिला दूंगा 20–25 कुत्ते है मेरे पास –इरफान (भू माफिया)
जब आवेदक ने अपने जमीन पर कब्जा होते देख इस बारे में इरफान जो एक भू माफिया है से बात की तो उसके उसे बकरे की तरह काट कर कुत्तों को खिला देने की बात कहीं और कहा की मेरे पास 20–25 कुत्ते हैं। इस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में भी किया जा चुका है तथा इससे पूर्व सरगुजा जिले के पूर्व कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी से शिकायत की जा चुकी है लेकिन अबतक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इस पूरे मामले की शिकायत जब पुलिस से की गई तो आवेदक का आरोप है की पुलिस के तरफ से उन्हें किसी प्रकार की कोई सहायता नही मिला और तो और पुलिस वाले एक बार भी घटना स्थल पर आए तक नही।
संरक्षित जनजाति कोरवा के जमीन पर चल रहा है अवैध खरीद बिक्री का खेल
आवेदक का आरोप है की भू माफिया इरफान अंसारी के द्वारा जमीन को अवैध तरीके से भुनेश्वर प्रसाद आत्मज मुरलीधर निवासी कुंदी के नाम पर बताकर अब्दुल जलील मिश्कली निवासी कांतिप्रकाशपुर के द्वारा अवैध तारिके से निर्माण किया जा रहा है और अपना अवैध आशियाना बनाया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिनका अवैध आशियाना पहाड़ी कोरवाओं के जमीन पर अवैध तरीके से बन रहा है। ये अतिक्रमणकारी कुछ झारखण्ड के गढ़वा से आए हैं और कुछ आस–पास के क्षेत्रों से हैं।
पर इन सारी बातों के बाबजूद एक सवाल है जो समझ से परे है आखिर कैसे एक पहाड़ी कोरवा के जमीन पर कोई जनरल अपना आशियाना बना सकता है क्या शासन प्रशासन का इन्हे डर नही है या फिर इन्हें संरक्षण मिला हुआ है लेकिन जो भी आखिर एक संरक्षित जनजाति के जमीन पर उसके मर्जी के बगैर और उसे डरा धमका कर बिना एक रुपया दिए उनकी जमीन पर कोई घर कैसे बना रहा है ।
अब किस जमीन में लगाएंगे अपनी फलक कैसे होगा इनका गुजारा
अब बरसात का मौसम है अपनी आजीविका के लिए ये पहाड़ी कोरवा अपने जमीन पर निर्भर हैं अपने जीवन निर्वहन के लिए धान आदि फसलों को लगाने का समय है लेकिन इन बेचारों की जमीन तो छीन चुकी है अब ये बेचारे जाएं तो कहां जाएं अपने आंखों के सामने अपने पट्टे के जमीन पर किसी और को कब्जा करते देखने के अलावा इनके पास और कोई उपाय नहीं है।
पंचायत द्वारा बनाएं बांध को समतल कर किया अतिक्रमण फिर भी पंचायत चुप क्यों??क्या मिली है कोई मोटी रकम या है भू माफियाओं का डर??
पंचायत ने शासन की राशि का उपयोग करते हुए ग्रामविकास के लिए एक बांध का निर्माण कराया था लेकिन भू माफियाओं ने अपनी दबंगी दिखाते हुए उस बांध को समतल कर उसे बेच दिया और उसके बाद उस जमीन पर अवैध कब्जा करके उस पर घर बनाया जा चुका है और बहुत सारे घर बनाएं जा रहे हैं।
गांव की कच्ची सड़क को निर्माण में लगी गाड़ियां कर रही तबाह
पहाड़ काटने और घर बनाने के लिए गाड़ियों का काफिला रोज इस सड़क से गुजरता है जिससे यहां रहने वाले लोगो को काफी परेशानी हो रही है और बारिश के बाद तो इस सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता हैं। इन सारी घटनाओं को अंजाम देने के बाबजूद भी इन भू माफियाओं को किसी का डर नही है,और ना ही इनपर कोई रोक लगा पा रहा है।
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