हिंद स्वराष्ट्र समाचारपत्र अम्बिकापुर
बलिदान तेरा अमर जगत में,
अद्भुत व्यक्तित्व पहचान है..
डॉ.मुखर्जी कोई नाम नहीं ये,
भारतवर्ष का स्वाभिमान है..
जम्मू कश्मीर की धरती को,
अलगाववाद से बचाया था.
सुंदर श्रीनगर की घाटी को,
भारत की भूमि बताया था.
दो निशान,प्रधान,विधान की,
ये दोहरी नीति नहीं चलेगी.
कहा तुष्टीकरण की आड़ में,
विभाजन नीति नहीं चलेगी.
परमिट तोड़ रावी के तट पर,
ललकारा जम्मू सरकार को.
गिरफ्तारी देकर स्पष्ट किया,
कश्मीर पर भू-अधिकार को.
नजरबंद की जेल में डाला,
साजिश से सब काम किया.
शेख अब्दुल्ला ने डर कर,
बीमार बता बदनाम किया.
मित्र परिजनों को भेंट की,
सहमति भी नहीं दी गई.
श्यामा प्रसाद को पैरवी की,
अनुमति भी नहीं दी गई.
धीरे-धीरे भोजन में मिला,
विष सा दिया जाता रहा.
डॉक्टर भी दवाई के साथ,
झूठी आस दिलाता रहा.
23 जून सन् तिरपन को,
दु:खदायी वह पल आया.
चिरनिद्रा में सो गया वीर,
देश में शोक लहर छाया.
अखण्ड भारत स्वप्न अंतिम,
समर्पित तन-मन ये प्राण है.
महामानव राष्ट्रभक्त हे वीर,
तुझे सतबार नमन प्रणाम है.
तुझे सतबार नमन प्रणाम है.
कलम से..
✒कवि संतोष सरल
Home सरगुजा संभाग अम्बिकापुर जनसंघ के संस्थापक, युगदृष्टा डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर...