हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर फिरोज अंसारी : जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी-बिहारपुर से लगे ग्राम पंचायत खोहिर, बैजनपाठ, लुल्ह, भुण्डा व तेलई पाठ में पिछले कई दशक से यहां के वनवासी व ग्रामीणों द्वारा जंगल पर आजीविका निर्भर होने के बावजूद तेंदूपत्ता नहीं तोड़ा जाता है। उक्त गांव के लोग बेरोजगारी व शासन की छोटी-छोटी योजनाओं का लाभ न मिल पाने से काफी परेशान हैं। दरअसल उक्त गांवों का क्षेत्र गुरुघासीदास कोरिया के अधीन है। रिजर्व फॉरेस्ट होने के कारण विभाग द्वारा तेंदूपत्ता तोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गौरतलब है कि बैजनपाठ, लुल्ह, भुण्डा एवं तेलई पाठ मूलतः आदिवासी, पंडी व गरीब किसानों का क्षेत्र है। यहां पर लोग राष्ट्रीय वन उद्यान बैकुंठपुर कई दशकों से निवास कर रहे हैं। बेचकर कुछ लाभ कमाने का विभाग द्वारा तेंदूपत्ता तोड़ने पर खाने के लिए चावल, दाल, ये लोग मुख्य रूप से जंगल पर ही निर्भर होकर तेंदूचार, महुआ
महुआ, तेंदूचार को बेचकर चुकाते हैं कर्ज की योजना से वंचित है यहां
ग्रामीणों ने बताया कि हम सभी जंगल से मिलने वाले वस्तुओं के सहारे ही बाजार से खाने के लिए एक वर्ष का सामान उपर ले आते हैं। फिर अगले वर्ष तेंदूचार, महुआ को बेचकर उधार चुकाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें तेंदूपत्ता तोड़ने की अनुमति देने के साथ ही अन्य शासकीय योजनाओं का लाभ मिले तक आजीविका चलाने में दिक्कत न हो। ग्रामीणों ने कहा यदि हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो हम भूख हड़ताल व उच्च आंदोलन करेंगे।
पहाड़ी एवं ऊंची पहाड़ी पर बस अपना जीवन यापन करते है
डोरी, साल बीज जैसे वनोपज से इसके अलावा एक रोजगार इनका तेंदूपत्ता संग्रहण भी है। प्रतिवर्ष इनको तेंदूपत्ता के सीजन का इंतजार भी रहता है कि इसे मौका मिलेगा। उक्त सभी गांव पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के सीमा वजह से वनवासी तेंदूपत्ता तोड़ने खाद्य सामग्री लाते हैं।
गुरुघासीदास राष्ट्रीय वन उद्यान बैकुठपुर, कोरिया के अधीन है रिजर्व फॉरेस्ट होने के कारण प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस खेती में बरसात की फसल मक्का, कोदो-कुटकी, अरहर की फसल अच्छी हुई तो केवल सीजन भर खाने के लिए मिल जाता है। बाकी दूसरी फसल गेहू, जौ, चना, अलसी, आलू की फसल का लाभ बारिश की कमी व सिंचाई का साधन न होने के कारण नहीं मिल पाता है। इस वजह से यहां के ग्रामीणों का लेकिन उक्त गांवों का क्षेत्र जंगल पर ही निर्भर रहना जरूरी हो जाता है। ये लोग जंगल से ही मिले तेंदूचार, महुआ आदि पर निर्भर करते हैं।