मातृ दिवस पर विशेष : ईश्वर ने मां की संरचना कर स्वर्ग को मां के कदमों के नीचे डाल दिया,,,अभी हम सब पर निर्भर करता है कि हम अपना रुख स्वर्ग की ओर करें या नरक की ओर….

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हिंद स्वराष्ट्र फिरोज अंसारी : मां दुनिया की किसी भी भाषा का सबसे मुलायम शब्द है। मां हमारा पहला प्यार होती है। हम उसके रक्त, अस्थियों, भावनाओं और आत्मा के हिस्से हैं। जीवन का पहला स्पर्श मां का होता है। पहला चुंबन मां का। पहला आलिंगन मां का। पहली गोद मां की जो अजनबी दुनिया में आंख खोलने के बाद सुरक्षा, कोमलता, ममता और आत्मीयता के अहसास से भर देती है। हमें पहली भाषा मां सिखाती है। पहला शब्द जो हम बोलते हैं, वह होता है मां। कहते हैं कि ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, सो उसने हर घर में अपने जैसी एक मां भेज दी। एक उम्र के बाद मां की गोद से उतर जाने के बाद जीवन भर हम मां की ही तलाश तो करते हैं -प्रेमिकाओं में, कल्पना में बनी स्त्री-छवियों में, पत्नी में, बहनों में, बेटियों में, मित्रों में। एक आधी-अधूरी, टुकड़ो में बंटी तलाश जो कभी किसी की पूरी नहीं होती। पूरी हो भी कैसे, मां के जैसा कोई दूसरा होता भी तो नहीं। आप भाग्यशाली है अगर आपको थामने, आपकी फ़िक्र करने और अपनी हर सांस में आपके लिए दुआ मांगने वाली एक मां आपके पास मौज़ूद है। हमारे जैसे अभागे लोग मां को खो देने के बाद ही समझ पाते हैं कि उन्होंने क्या खो दिया है।

तेरी आग़ोश से निकले तो उम्र भर भटके
अब भी रोते हैं मगर दर्द किसे होता है……

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