सरकार के वादाखिलाफी के कारण 2 सूत्री मांगों को लेकर मनरेगा कर्मचारी संघ 4 अप्रैल से है अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्यरत सभी कर्मचारियों के द्वारा 2 सूत्रीय (1. चुनावी घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए समस्त मनरेगा कर्मियों का नियमितीकरण किया जावे। 2. नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होते तक रोजगार सहायकों का ग्रेड पे निर्धारण कर समस्त मनरेगा कर्मियों पर सिविल सेवा नियम 1966 के साथ पंचायत कर्मी नियमावली लागू किया जावे ) मांगों को लेकर हड़ताल में चले जाने से पूरे प्रदेश के मनरेगा मजदूरों को रोजगार के लाले पड़ गए हैं। आलम यह है कि आज की तारीख में पूरे प्रदेश में मनरेगा अंतर्गत एक भी मजदूरों को काम नहीं मिला है। जबकि पूरे प्रदेश में मनरेगा के तहत 4299897 परिवार पंजीकृत हैं एवं 10049404 मजदूर पंजीकृत हैं। मनरेगा महासंघ के बैनर तले हो रहे हड़ताल पर जानकारी देते हुए संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 4 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल लगातार छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में चल रहा है जिसके कारण प्रदेश में यह स्थिति निर्मित हुई है। एक अनुमान के मुताबिक सूरजपुर जिले में ही हड़ताल पर कर्मचारियों के चले जाने से अब तक मनरेगा मजदूरों को लगभग 28 करोड़ रुपए का मजदुरी मूलक कार्य का नुकसान हुआ है जिससे पूरे राज्य की स्थिति समझी जा सकती है। ज्ञात की पूरे साल भर में मह अप्रैल-मई एवं जून महीने में सबसे ज्यादा मनरेगा मजदूरों को काम में नियोजित किया जाता है क्योंकि इस दौरान ग्रामीण खेती किसानी के काम से दूर होते हुए रोजगार गारण्टी के कार्य में रोजगार प्राप्त करते हैं। कर्मचारियों के हड़ताल से ग्रामीण मजदूरों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। संघ के पदाधिकारियों ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत प्रदेशभर के कर्मचारी अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि भूपेश सरकार ने अपने जन घोषणापत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का भरोसा दिया था तथा वह अनियमित कर्मचारियों के मंच से सभी कर्मचारियों को सरकार बनते ही 10 दिनों में नियमित करने का वादा किया गया था। क्योंकि भूपेश सरकार ने एक हज़ार दिवस पूर्ण होने पर भी अभी तक अपना वादा नहीं निभाया है इस कारण सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल में बैठे हुए हैं । गौरतलब है कि योजना 2005 से प्रारंभ हुई है तब से कर्मचारी संविदा के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं । गत 3 वर्षों से कर्मचारियों की वेतन वृद्धि भी नहीं की गई है जिसके कारण इस महंगाई में कर्मचारियों को जीवन निर्वाह में बहुत दिक्कत आ रही है। रोजगार सहायकों को कुल मानदेय 5000 प्राप्त हो रहा है जिससे इतनी अल्प मानदेय से अपने परिवार का पालन पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी संघ ने आगे बताया कि देश में छत्तीसगढ़ राज्य ही सर्वाधिक रोजगार देने वाला राज्य गत कई वर्षों से बना हुआ है। यह पहला अवसर है कि जब पूरे प्रदेश में मजदूरी मूलक कार्य पूर्णता बंद है एवं प्रदेश में एक भी ग्रामीणों को काम नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के द्वारा हड़ताली कर्मचारियों के साथ अभी तक किसी भी प्रकार की संवाद स्थापित नहीं की गई है ना ही हड़ताल खत्म करने को लेकर कोई ठोस पहल की गई है इस कारण कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
हड़ताली कर्मचारियों के द्वारा विभिन्न गतिविधियों प्रति दिवस चरणबद्ध रूप से आयोजन कर अपनी मांगों को याद दिलाया जा रहा है। जैसे जल सत्याग्रह, घर घर जाकर जनसमर्थन प्राप्त करना, मानसिक प्रताड़ना के प्रति पुतला दहन किया जा रहा है। फिर भी सरकार के द्वारा कोई सुध नहीं लिया जा रहा है। और बता दें कि हड़ताली मनरेगा कर्मचारियों के द्वारा गांव-गांव में जाकर विभिन्न प्रकार के पंपलेट छपवा कर ग्रामीणों के समक्ष रखा जा रहा है जिसमें सभी ग्रामीण के द्वारा अपना समर्थन दिया गया है।