मां गढ़वतिया के दरबार में बढ़ रही भक्तों की भीड़ लेकिन सुविधाओं की खल रही कमी … दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं पहाड़ पर स्थित मां के दर्शन,, मंदिर में न बिजली व न पानी की व्यवस्था…..

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हिंद स्वराष्ट्र बिहारपुर फिरोज अंसारी : जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी – बिहारपुर के महुली गांव में स्थित गढवतिया मां दुर्गा का मंदिर सुविधाओं के अभाव में जीर्णशीर्ण है। यहां नवरात्र के समय दर्शन करने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न जगहों से लोग पहुंचते हैं। इसके बाद भी पहाड़ पर स्थित मां के दरबार तक जाने के लिए रास्ता तक नहीं बनाया गया है। ग्रामीणों ने खुद ही पहल कर कुछ दूरी तक सीढ़ियां बनाई, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मां के दर्शन को आने वालेभक्तों की संख्या भले ही निरंतर बढ़ रही हो, लेकिन सुविधाओं की कमी लगातार बनी हुई है। सूरजपुर जिला मुख्यालय से 125 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम महुली के गढ़ वतिया पहाड़ पर मां अष्टभुजी का दरबार है। यहां बहुत पहले से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां मेले का आयोजन भी किया जाता है। लेकिन सुविधाओं के अभाव में भक्त परेशान हो रहे हैं। यहां न तो बिजली है और न ही पानी की व्यवस्था है। यहां तक की मां के धाम तक पहुंचने के लिए रास्ता भी नहीं बना हुआ है । ग्रामीणों ने कुछ साल पहले सहायता राशि इकट्ठा कर सीढ़ी की व्यवस्था कराई, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं बन पाई हैं। वर्तमान में शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ हर रोज उमड़ रही है। श्रद्धालुओं की आस्था है कि यहां जो भी भक्त माता के दरबार में आता है उन सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भक्त श्रद्धा से नारियल चुनरी चढ़ाते हैं और मन्नत मांगते हैं। गढ़वतिया धाम के मुख्य पुजारी सोमारसाय व जगमोहन ने बताया कि माता के भक्त श्रद्धा भाव से जो भी अर्पण करते है, माता उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं। इस धाम का आकर्षण का केंद्र यह है कि यहां प्राचीन मूर्तियों का विसाल भंडार है। लेकिन, प्राचीन मूर्तियां संरक्षण के अभाव में टूटी पड़ी हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से माता के धाम में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था कराने की मांग की है। गढ़वतिया में पूरे पहाड़ में प्राचीन मूर्तियों का भंडार है, लेकिन संरक्षण के अभाव में बहुत सारी मूर्तियां टूट चुकी हैं और अस्त-व्यस्त बिखरी हुई हैं। ग्रामीणों ने कलेक्टर से मूर्तियों के संरक्षण व मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करवाने की मांग की है। दर्शनीय स्थल होने के बावजूद भी अभी तक प्रशासन ने ना तो बिजली की व्यवस्था की है और न ही की कोई व्यवस्था है। इसके साथ ही पहाड़ी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियों तक की व्यवस्था नहीं है। ग्रामीणों ने मंदिर को दर्शनीय स्थल घोषित कर पुरातत्व विभाग को सौंपने की मांग की है।

महुली गांव के पहाड़ में मिले दसवीं शताब्दी के पुरातात्विक अवशेष……..

सरगुजा संभाग मुख्यालय से करीब 175 किलोमीटर दूर सूरजपुर जिले के बिहारपुर क्षेत्र के गढ़वतिया पहाड़ी पर कई सदी पुराने स्तंभ मिले हैं। पहाड़ी के नीचे खाई में ऐसे कई अवशेष बिखरे पड़े हैं। काले पत्थरों से निर्मित स्तंभों में कुछ तो सही स्थिति में है, लेकिन कुछ जानकारी व सुरक्षा के अभाव में नष्ट होते जा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पुरातात्विक धरोहर में महुली के गढ़वतिया पहाड़, सीता लेखनी पहाड़ के शिलालेख और लक्ष्मण पंजा, चपदा गांव की गुफा, जोगी माड़ा, कुदरगढ़ के शैलचित्र शामिल हैं।पहाड़ पर मौजूद हैं काले पत्थर से बने शिवलिंग…….

पहाड़ी पर काले पत्थरों में बने शिवलिंग भी हैं। यहां इस तरह के लगभग 100 से अधिक पत्थर हैं। जब इन स्तंभों को देखा गया तो पाया कि काले पत्थरों से निर्मित स्तंभों के मध्य भाग में शिवलिंग बने हुए हैं। इसके दोनों ओर उमा महेश के दो उपासक वंदना की मुद्रा में दिखाए गए हैं। उनके ठीक ऊपर अभय की मुद्रा में हाथ उत्कीर्ण है। हाथ के दोनों ओर सूर्य और चांद की आकृति बनी हुई है और सबसे ऊपरी सिरे पर कलश की आकृति बनी हुई है। इनकी विशेषताओं के आधार इनका निर्माण काल संभवतः 9वीं सदी से 12वीं सदी के बीच का माना जा सकता है।

राजा बालम ने बनाया था किला और मंदिर……..

सोमार साय बैगा ने बताया कि पहाड़ी पर शिव, गणेश, हनुमान, महिषासुर मर्दनी की मूर्ति भी देखने को मिलती हैं। इसे देखकर लगता है कि यहां कोई प्राचीन गढ़ रहा होगा। इसलिए इसका नाम गढ़वतिया पहाड़ पड़ा। मान्यता है कि इस पहाड़ी पर राजा बालम ने किला व मंदिर बनवाया था। राजा खैरवार जाति के थे, इसलिए पहाड़ी देवी की पूजा खैरवार जाति के बैगा ही करते हैं ।

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