हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर भूषण बघेल – जिले में फिर एक बार फिर कहावत को चरितार्थ करती हुई एक घटना हुई है जी हां बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंछी को छाया नहीं फल लागे अति दूर घटना कुदरगढ़ वन परीक्षेत्र के ग्राम बाक का है जहां वन विभाग की टीम सोती हुई नजर आ रही है। वन परीक्षेत्र में वनरक्षक, बीट प्रभारी, रेंजर शासकीय कर्मचारी वन्यजीवों की रक्षा के लिए नियुक्त पदाधिकारी सिर्फ नाम के अधिकारी हैं। गौर करने का विषय है कि जब ग्रामीणों द्वारा भालू के तार में फंस जाने की सूचना फोन पर दी गई तो अधिकारी समय पर मौके पर क्यों नहीं पहुंचे। जबकि भालू को समय रहते वन विभाग की टीम बचा सकती थी।
घटना की जानकारी होने पर अधिकारी मौके पर समय पर क्यों नहीं पहुंचे?
अगर भालू की समय पर इलाज हो जाती तो शायद वह काल के गाल में समाने से बच जाता। इस घटना से पहले भी कई वन्य जीवो की मृत्यु वन विभाग की लापरवाही के चलते हुई है एक मौत और सही अधिकारियों का क्या होना है? अब देखने वाली बात यह है कि नए वन परीक्षेत्र अधिकारी के आने के बाद जिले में कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाही होती है या नहीं या फिर उनका भी हाथ पांव फुलेने लगेगा अपने कर्मचारियों के ऊपर कार्रवाई करने में पहले रेंजर की तरह…